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पितृ पक्ष में खरीददारी की क्या हैं भ्रांतियां? जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

हिंदी पंचांग के अनुसार, पितरों की तृप्ति के लिए समर्पित पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष 21 सितंबर 2021 दिन मंगलवार से शुरू हो चुका है. पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध जैसे अनेक कर्म काण्ड किये जाते हैं. इसके पीछे मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पितर और पूर्वज धरती पर आते हैं और अपने वंश में किसी न किसी प्रकार पहुँचते हैं. पितरों की आत्मा की शांति के लिए ये कर्मकांड किये जाते हैं इससे वे प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं. उनके आशीर्वाद से वंश, धन, विद्या, ऐश्वर्य, मान, सम्मान और पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि के साथ-साथ घर परिवार की उन्नति होती है.

लोगों के मन में अक्सर यह चलता रहता है कि पितृ पक्ष में कोई खरीददारी करें या न करें. कुश लोग पितृ पक्ष में खरीददारी करना अशुभ मानते हैं. जबकि पितृ पक्ष तो अपने पितरों को स्मरण करने का समय होता है उन्हें घर आने का अवसर मिलता है. ये घर परिवार को देखकर प्रसन्न होते हैं. इस समय विवाह, मुंडन आदि जैसे मांगलिक कार्य तो नहीं किये जाते हैं. परंतु पूजा पाठ तथा खरीददारी करना वर्जित नहीं होता है.

श्राद्ध में खरीददारी करें या  करें

अपने पितरों की आत्म संतुष्टि या तृप्ति के लिए श्रद्धा पूर्वक किया गया दान, पुण्य और पूजा पाठ श्राद्ध कहलाता है.  आप 15 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में नई खरीददारी कर सकते हैं. पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष में जब पितर धरती पर आयेंगे. तो आपको ख़ुशी, समृद्धि और धन वैभव से संपन्न देकर अति प्रसन्न होंगे.

ज्योतिष ग्रंथ मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार, आप पूरे वर्ष शुभ मुहूर्त में नए वाहन, भवन, भूमि, वस्त्र, आभूषण आदि की खरीदारी कर सकते हैं. परंतु परिवार में किसी का निधन हो गया है तो सूतक काल में शुभ कार्य और मांगलिक कार्यों के लिए खरीदारी करना वर्जित होता है.

 

 

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