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इंग्लैंड को वनडे सीरीज हराने वाली हरमनप्रीत की कहानी

‘तुम धूल हो – पैरों से रौंदी हुई धूल। बेचैन हवा के साथ उठो, आंधी बन उनकी आंखों में पड़ो जिनके पैरों के नीचे हो।’

सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की ये कविता ‘धूल’ आज के जमाने में इंडियन विमेंस क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर भुल्लर पर हर तरह से सटीक बैठती है। वो देश जहां हमेशा ही मेंस क्रिकेट का वर्चस्व रहा हो, उस देश में अपने दमदार खेल से विमेंस क्रिकेट को रोमांचक बना देना सचमुच ही बैचेन हवा की मदद से आंधी बनना है। हरमनप्रीत का बल्लेबाजी के दौरान आक्रामक अंदाज यही दर्शाता है। वो लड़की जो न सिर्फ अपने गांव मोगा में विमेंस क्रिकेट की पहचान बनी, बल्कि पूरे भारत में फैंस को यह यकीन दिलवाने में कामयाब रही कि हमारी छोरियां छोरों से कतई कम नहीं हैं।

अपने एक इंटरव्यू में हरमनप्रीत ने बताया था, ‘पहले जब मेरे पिताजी के दोस्त मुझे एयरपोर्ट पर सी-ऑफ करने आते थे तो कहते थे कि मुझे बड़े शॉट लगाने की कोशिश करने की क्या जरूरत है? लड़कियों में बड़े शॉट्स खेलने की ताकत नहीं होती। सिर्फ सिंगल्स और डबल्स लेने की कोशिश किया करो। मैं इसके जवाब में कुछ नहीं कहती थी, लेकिन 2017 वर्ल्ड कप देखने के बाद वो भरोसा करने लगे कि शायद मैं और मेरी साथी खिलाड़ी बॉल को बाउंड्री के पार पहुंचा सकती हैं।’

हर फॉर्मेट में हरमन की आक्रामक बल्लेबाजी ने ये साबित किया है कि विमेंस क्रिकेट में भी लंबे-लंबे छक्के लगाए जा सकते हैं।आज हरमनप्रीत की कहानी इसलिए क्योंकि उनकी लीडरशिप में विमेंस टीम इंडिया ने बीते शनिवार को इंग्लैंड को उसके घर में खेली गई वनडे सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप कर दिया। यानी अंग्रेजों को उनके ग्राउंड पर साफ कर दिया। उन्होंने खुद फ्रंट से कमान संभालते हुए दूसरे वनडे में 111 गेंदों पर 18 चौके और 4 छक्के की मदद से 143 रन ठोके थे।

हरमन के लिए बनाई मोगा की विमेंस टीम

कोच कमलदीश सिंह सोढ़ी कहते हैं ‘मैं और मेरी वाइफ मोगा की गुरुनानक कॉलोनी में सैर पर जाते थे। हम एक प्राइवेट स्कूल (ज्ञान ज्योति सीनियर सेकेंडरी स्कूल) चलाते थे। जब भी मैं सैर पर जाता मैं हरमनप्रीत को लड़कों के साथ खेलता हुआ देखता। मैंने सोचा था मैं खुद क्रिकेटर प्लेयर हूं, मेरे परिवार से भी कई लोग क्रिकेट में अपना नाम कर चुके हैं। इसलिए मैं अपने स्कूल की भी एक अच्छी क्रिकेट टीम बनाना चाहता था। इसलिए जब हरमनप्रीत को देखा तो लगा कि इस बच्ची की स्किल्स को पॉलिश किया जा सकता है। इसके बाद तैयार हुई मोगा की पहली महिला क्रिकेट टीम। इस टीम के साथ हम स्टेट क्रिकेट चैंपियन बने।

ग्रेट प्लेयर्स का होता है उनका कमबैक

पिछले दो सालों में हरमनप्रीत ने कोई बड़ी परफॉरमेंस नहीं दी थी। इस बारे में उनके कोच ने कहा कि जो ग्रेट प्लेयर होते हैं उनका कमबैक भी इतना ही ग्रेट होता है। पिछले 2 सालों में भले ही हरमनप्रीत ने कोई बड़ी और यादगार पारी ना खेली हो, लेकिन इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे वनडे में उनकी शानदार वापसी ने क्रिटिक्स के मुंह बंद कर दिए हैं। उनकी परफॉरमेंस के बाद जब लोग उनको रिटायरमेंट की सलाह देने लगे थे तब सोशल मीडिया पर मैंने उन लोगों को पहले ही कह दिया था, ‘आप सब्र रखिए। उनका कमबैक शानदार होगा।’ उन्होंने मेरी बात ठीक साबित कर दी।

2017 के वर्ल्ड कप में भी खेली चुकी हैं

साल 2017 में भले ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम वनडे वर्ल्ड कप फाइनल ना जीती हो, लेकिन सेमीफाइनल में हरमनप्रीत की धुंआधार पारी अब भी लोगों के जेहन में ताजा है। पांच साल बाद भी उस मैच में बनाया उनका रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है।

20 जुलाई 2017 को डर्बी में वनडे वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल खेला जा रहा था। उन्होंने 148.69 के स्ट्राइक रेट से 115 गेंदों में 171 रनों की नाबाद पारी खेली। इस दौरान उनके बल्ले से 20 चौके और 7 छक्के निकले। इस तरह वनडे इंटरनेशनल में एक इनिंग में चौथी पोजीशन पर खेलते हुए सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड हरमनप्रीत के नाम है।

 

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