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क्या कैंसर के ट्यूमर को दबाने में मदद कर सकती है ग्रीन टी? जानिए बनाने का सही तरीका

ग्रीन टी अपने कई फायदों के लिए जानी जाती है. ये पाचन सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ साथ वजन कम करने में भी मदद करती है. पाचन सिस्टम के मजबूत होना का पूरे शरीर पर प्रभाव पड़ता है. ताजा रिसर्च के मुताबिक, ग्रीन टी का एक एंटीऑक्सीडेंट कैंसर रोधी प्राकृतिक प्रोटीन का लेवल बढ़ा सकता है. कैंसर रोधी प्राकृतिक प्रोटीन P53 को डीएनए क्षति की मरम्त करने या कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने की क्षमता के तौर पर जाना जाता है.

क्या ग्रीन टी कैंसर के ट्यूमर को दबा सकती है?

नेचर कम्यूनिकेशंस में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक ग्रीन टी का यौगिक एपिगलोकेटेशिन गलेट और P53 के बीच सीधा संबंध है. P53 और एपिगलोकेटेशिन गलेट के अणु बेहद दिलचस्प हैं. इंसानी कैंसर के 50 फीसद से ज्यादा में P53 का म्यूटेशन पाया जाता है, जबकि एपिगलोकेटेशिन गलेट ग्रीन टी का प्रमुख एंटीऑक्सीडेंट है. वैज्ञानिकों का कहना है कि दोनों के बीच सीधा तालमेल है, जो पहले अज्ञात था. इससे कैंसर रोधी दवाओं को विकसित करने के लिए एक नए रास्ते का पता मिलता है.

रिसर्च व्याख्या करने में मदद करती है कि कैसे एपिगलोकेटेशिन गलेट P53 की कैंसर रोधी गतिविधि को बढ़ाने में सक्षम है, जो एपिगलोकेटेशिन गलेट जैसे यौगिकों के साथ दवाओं को विकसित करने का दरवाजा खोलता है. उसके मुताबिक P53 मानव कैंसर में ‘यकीनन सबसे महत्वपूर्ण प्रोटीन के तौर पर है’. P53 का कोशिका के विकास को रोकने और डीएनए क्षति की मरम्मत करने समेत कई कैंसर रोधी काम है. वहीं, एपिगलोकेटेशिन गलेट एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है, जो ग्रीन टी में काफी पाया जाता है. शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि P53 और एपिगलोकेटेशिन गलेट के बीच तालमेल प्रोटीन को क्षरण से बचाता है.

ग्रीन टी का सही प्याला बनाने के जानिए तरीके

एक कप पानी, एक चम्मच ग्रीन टी की पत्तियां, एक चम्मच शहद लें. पानी को उबालकर आंच को बुझा दें. उसके बाद चाय की पत्तियों को मिलाकर ढंक दें. 5 मिनट के लिए भीगने दें. फिर छानकर इस्तेमाल करें. शहद को मिलाना वैकल्पिक है.

 

 

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