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पारदर्शिता की एक और पहल, सेबी ने कहा- सभी डिविडेंड प्लान के नए नाम रखें म्यूचुअल फंड्स

सेबी एक के बाद एक म्यूचुअल फंड सुधार के नियमों को लागू कर रहा है. मल्टीकैप फंड से जुड़े निर्देशों के बाद अब इसने कहा है कि म्यूचुल फंड कंपनियों को अपनी नई और मौजूदा के डिविडेंड प्लान को नया नाम देना होगा. सेबी के निर्देश के मुताबिक फंड हाउस को निवेशकों को यह साफ तौर पर बताना होगा कि निवेश की गई राशि का कितना हिस्सा डिविडेंड के तौर पर बांटा जा सकता है.

नए निर्देश के मुताबिक डिविडेंड वाली हर मौजूदा और नई स्कीम में सभी तीनों ऑप्शन को नया नाम देना होगा. डिविडेंड पे-आउट ऑप्शन को अब इनकम डिस्ट्रीब्यूशन सह कैपिटल विदड्राल ऑप्शन का पेआउट कहा जाएगा. डिविडेंड री-इनवेस्टमेंट को री-इनवेस्टमेंट, कैपिटल विदड्रॉल प्लान और डिविडेंड ट्रांसफर प्लान ट्रांसफर ऑफ इनकम डिस्ट्रीब्यूशन, कैपिटल विदड्रॉल प्लान कहा जाएगा.

म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटरों का कहना है कि ऐसे कई मौके आए हैं, जहां इक्विटी और हाइब्रिड प्रोडक्ट रेगुलर डिविडेंड देने के वादे के साथ बेचे गए हैं. कई निवेशकों ने इन प्रोडक्ट और इससे जुड़े जोखिमों को समझे बगैर इनमें निवेश किया. लेकिन बाजार गिरा और फंड हाउस ने डिविडेंड नहीं दिया या फिर निवेशकों ने पैसा निकाला तो उन्हें पता चला कि यह उनकी ओर से लगाए गए पैसे से ही दिया गया.

पिछले दिनों, सेबी ने मल्टीकैप फंड के नियमों में बदलाव किए थे.  मल्टी कैप फंड के लिए सेबी के एसेट एलोकेशन नियमों के मुताबिक मल्टीकैप फंड को अपने टोटल एसेट का कम से से 75 फीसदी शेयरों में निवेश करना होगा. इसके मुताबिक उन्हें 25-25 फीसदी फंड मल्टी, लार्ज और स्मॉल कैप में लगाना होगा. इससे पहले 65 फीसदी फंड शेयरों में लगाने की अनुमति थी. हालांकि  इसमें यह नहीं कहा गया था कि कितना-कितना हिस्सा, लार्ज, मिडकैप और स्मॉल कैप में लगना है.

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