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नवरात्रि में सप्तमी के दिन क्यों की जाती है नवपत्रिका पूजा? जानें महत्व और पूजा विधि

अक्टूबर का महीना काफी पवित्र माना जाता है. इस महीने में बहुत से व्रत और त्योहार पड़ते हैं. नवरात्रि के सातवें दिन महापूजा की शुरुआत होती है. इसे महासप्तमी (Mahasaptami Puja) कहा जाता है. इस दिन सुबह के समय नवपत्रिका पूजा (Navpatrika Puja) यानी नौ तरह की पत्तियों से मिलाकर बनाए गए गुच्छे से दुर्गा आह्वान किया जाता है.

बता दें कि दुर्गा पूजा (Durga Puja) का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है और हर दिन का अपना अलग महत्व होता है. आखिरी के चार दिन बेहद पवित्र होते हैं. जहां हिंदू नवरात्रि के रूप में मां दुर्गा के स्वरूप की पूजा करते हैं, वहीं बंगाली लोग 10 दिन मां दुर्गा की ही पूजा की जाती है. इस बार नवपत्रिका की पूजा 12 अक्टूबर, 2021 को की जाएगी.

नवरात्रि के सातवें दिन महापूजा (Navratri Seventh Day Mahapuja) की शुरुआत होती है. जिसे महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है. सप्तमी के दिन सुबह नौ तरह की पत्तियों का गुच्छा बनाकर मां दुर्गा का आह्वान किया जाता है. इन नौ पत्तियों का मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. इन नौ पौधों की पूजा को नवपत्रिका के नाम से जाना जाता है. मां दुर्गा को नवपत्रिका के दिन सूर्योदय से पहने गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान कराया जाता है. इसे महास्नान के नाम से भी जानते हैं. बता दें कि पत्तियों या पौधों को पीले रंग के धागे के साथ सफेद अपराजिता पौधों की टहनियों से बांधा जाता है.

आइए जानते हैं इन नौ पौधो के बारे में, जो विभिन्न भगवान का प्रतिनिधित्व करते हैं.

बेल के पत्ते: भगवान शिव (Lord Shiva)
अशोक के पत्ते: देवी शोकारहिता (Goddess Shokarahita)
चावल धान: देवी लक्ष्मी (Goddess Lakshmi)
केले का पौधा: देवी ब्राह्मणी (Goddess Brahmani)
अरुम का पौधा: देवी चामुंडा (Goddess Chamunda)
हल्दी का पौधा: देवी दुर्गा (Goddess Durga)
अनार के पत्ते: देवी रक्तिदंतिक (Goddess Raktadantik)
जयंती का पौधा: देवी कार्तिकी (Goddess Kartiki)
कोलोकैसिया पौधा: देवी कालिका (Goddess Kalika)

2021 में नवपत्रिका पूजा कब है? (When Is Navpatrika Puja)

नवरात्रि का सातवां दिन 12 अक्टूबर को होगा. इसलिए 12 अक्टूबर, मंगलवार के दिन नवपत्रिका पूजा की जाएगी. 11 अक्टूबर को रात्रि 23:52:30 बजे से सप्तमी आरंभ होगी और 12 अक्टूबर को 21:49:38 पर समाप्त होगी.

महासप्तमी के दिन होता है महास्‍नान  (Mahaisnan On Mahasaptami)

नवरात्रि के दिनों में सप्तमी के दिन को महासप्तमी के रूप में बनाया जाता है. इस दिन महास्‍नान का विशेष महत्‍व है. मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा के आगे शीशा रखकर उस पर पड़ रहे मां दुर्गा के प्रतिबिम्ब को स्‍नान कराया जाता है, जिसे महास्‍नान कहा जाता है.

 

 

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