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एयर इंडिया और सरकार के बीच हुई डील के क्या हैं मायने, क्या लौटेंगे ‘महाराजा’ के शाही दिन?

नई दिल्ली: कभी दुनिया की सबसे शानदार एयरलाइंस में शुमार रही एयर इंडिया का लेकिन पिछले कुछ सालों में भट्टा बैठ गया. एयर इंडिया जिसमें सफर करना कभी शान की बात होती थी, वो एयर इंडिया कर्ज में ऐसी डूबी कि उसकी साख खत्म हो गई. पिछले कई साल से सरकार इस कोशिश में थी कि एयर इंडिया को प्राइवेट हाथों में दे दिया जाए. लेकिन इस कोशिश में कामयाबी नहीं मिली. अब आखिरकार टाटा ग्रुप ने इसे खरीद लिया है.

टाटा ग्रुप ने सबसे ज्यादा बोली लगाकर एक बार फिर अपनी उस कंपनी को अपना लिया, जिसे कभी सरकार ने छीन लिया था. आज हम आपको बताएंगे कि एयर इंडिया और सरकार के बीच हुई डील से क्या हैं मायने, क्या लौटेंगे ‘महाराजा’ के शाही दिन? और आखिरकार महाराजा के वापस टाटा के पास लौटने में 68 साल क्यों लग गए.

3 प्रधानमंत्री 10 नागरिक उड्डयन मंत्री और 21 साल का इंतजार
एयर इंडिया के वापस टाटा ग्रुप के पास लौटने की कहानी थोड़ी लंबी है, इस कहानी के किरदारों में 3 प्रधानमंत्री 10 नागरिक उड्डयन मंत्री और 21 साल का इंतजार शामिल हैं. एयर इंडिया को बेचने का फैसला सबसे पहले 2000 में किया गया था. वो मई का महीना था और वाजपेयी सरकार ने एयरलाइंस के 60 फीसदी शेयर बेचने का फैसला किया. उसके बाद कोशिशें को खूब हुईं लेकिन कामयाबी नहीं मिली और 21 साल बीत गए.  अब मोदी सरकार में ये काम पूरा हो रहा है. कर्ज में डूबी एयर इंडिया की पूरी हिस्सेदारी सरकार बेच रही है. इसी के साथ कर्ज में डूबी एयर इंडिया 68 साल बाद अपने पुराने मालिक के पास लौट आई.

टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए सबसे ज्यादा 18 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाकर उसे एक बार फिर अपना बना लिया DIPAM के सचिव तुहिन कांता पांडे ने कहा, ”टाटा सन्स ने एयर इंडिया की बिड जीती है. उन्होंने 18,000 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी. दिसंबर 2021 में कंपनी का स्वामित्व टाटा सन्स के पास चला जाएगा. कंपनी में लोगों का रोज़गार बना रहेगा.”

रतन टाटा ने भी अपनी खुशी का इजहार किया

एयर इंडिया की घर वापसी के बाद टाटासंस के चेयरमैन रतन टाटा ने भी अपनी खुशी का इजहार किया. उन्होंने लिखा कि वेलकम बैक, एयर इंडिया उसके आगे एक फ्लाइट के इमोजी के साथघर का इमोजी भी ट्वीट किया इसके साथ में JRD टाटा की एक पुरानी तस्वीर भी ट्वीट की जिसमें उनके पीछे एयर इंडिया के विमान से कुछ एयर होस्टेस उतरती हुई नजर आ रही हैं

एयर इंडिया को बेचने का फैसला सरकार को क्यों लेना पड़ा?

90 के दशक में जब देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुईतो एयरलाइंस के बिजनेस में निजी कंपनियां कूदीं कई प्राइवेट एयरलाइंस कंपनियां मार्केट में आईं यात्रियों को अच्छी-अच्छी सुविधाएं दी जाने लगींऔर इसी के साथ एयर इंडिया का ग्राफ गिरने लगा अगले कुछ सालों तक एयर इंडिया कभी घाटे में रहीतो कभी थोड़ा मुनाफा भी हुआ लेकिन 2007 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस का मर्जर कर दिया गयाऔर उसके बाद से एयर इंडिया डूबती चली गई.

2007 के बाद एयर इंडिया में कभी मुनाफा नहीं हुआ, सिर्फ घाटा ही हुआ.  अगर 2017 से 2018 की बात करें तो 5,348 करोड़ रुपए का घाटा हुआ. 2018 से 2019 के बीच 8,556 करोड़ रुपए का घाटा हुआ. 2019 से 2020 के बीच 7,982 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा. और 2020 से 2021 के बीचअब तक 9,779 करोड़ रुपए की चपत लगी.

लंबे समये हो रही थी एयर इंडिया की उड़ान बेचने की कोशिश

एयर इंडिया कर्ज में डूबी हुई हैऔर लंबे वक्त से डूबी हुई है. यही वजह है कि लंबे वक्त से इस बात की कोशिश की जा रही थीकि एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेची जाए इससे पहले 2018 में सरकार ने कंपनी में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं कुछ दिन पहले 1 अक्टूबर को ये खबर आई थी कि टाटा संस ने एअर इंडिया को खरीदने का जो प्रस्ताव दिया था, उसे स्वीकार कर लिया गया है. लेकिन बाद में पता चला कि इस बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है. आज आखिरकार टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया को एक बार फिर हासिल कर लिया.

इस डील के बाद आगे क्या होगा?

एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस की कमान अब टाटा ग्रुप के हाथ में आएगी. एअर इंडिया और उसकी सहायक कंपनी एअर इंडिया एक्‍सप्रेस लिमिटेड की 100 प्रतिशत हिस्‍सेदारी टाटा संस को मिलेगी.  एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्‍सप्रेस के बेड़े में 146 विमान हैं. इनमें से 82 विमानों का मालिकाना हक एअर इंडिया के पास है. एअर इंडिया की कुल संपत्ति की बात करें तो वो 26 हजार 60 करोड़ रुपए है. सरकार को इस डील में 2,700 करोड़ रुपए का कैश मिलेगा. सरकार टाटा ग्रुप को एयरलाइंस की जिम्मेदारी 4 महीने में देगी डील के एलान से 15 दिन बाद इस ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू होगी

एयर इंडिया में काम करने वाले कर्मचारियों का क्या होगा?

आज की तारीख में एअर इंडिया में 12,085 कर्मचारी हैं, जिसमें से 8,084 स्थायी कर्मचारी हैं और 4,001 कर्मी कॉन्ट्रैक्ट पर हैं. इसके अलावाएयर इंडिया एक्सप्रेस में 1434 कर्मचारी हैं.  यह सभी कर्मचारी टाटा के हो जाएंगे  एक साल तक इनकी छंटनी नहीं हो सकती  उसके बाद अगर इनकी छंटनी करनी होगीतो इन्हें VRS देना होगा.

 

 

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