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कन्या पूजन के बिना नवरात्रि व्रत रहता है अधूरा, जानें  कन्या पूजन के नियम

शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) का प्रारंभ 7 अक्टूबर को हुआ था. इस शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी तिथि (Shardiya Navratri 2021) कल यानी 13 अक्टूबर को है. नवरात्रि (Navratri) में कन्या पूजन (Kanya Pujan) का विशेष महत्व होता है. वैसे नवरात्रि के सभी दिनों में कन्या पूजन किया जा सकता है. लेकिन अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विशिष्ट महत्व है. धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन या कन्या खिलाने के बिना व्रत का पूरा-पूरा लाभ नहीं मिलता है. इसलिए जो पूरे दिन नवरात्रि का व्रत रखते हैं, साथ ही जो प्रथम और अंतिम व्रत रखते हैं. उन सभी को कन्याओं को श्रद्धापूर्वक भोजन कराने और उनका पूजन करने के बाद दक्षिणा देकर सम्मान से विदा करना चाहिए. इससे मां दुर्गा अति प्रसन्न होती है और भक्तों को उनकी मनोकामना पूरा होने का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

नवरात्रि में कन्या पूजन (Kanya Pujan in Navratri) के समय रखें इन बातों ध्यान

  • कन्या पूजन वाले स्थान की साफ-सफाई अच्छी तरह से कर लेनी चाहिए क्योंकि मां दुर्गा को सफाई बेहद प्रिय है.
  • कन्याओं को भोजन कराते समय साथ में एक बालक को जरूर बैठाएं. कन्या पूजन के साथ इनका भी पूजन जरूर करें. बालक को बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है. देवी मां की पूजा के बाद भैरव की पूजा बेहद अहम मानी जाती है.
  • कन्या पूजन में उन्हीं कन्याओं को आमंत्रित करें जिनकी उम्र केवल 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष के बीच में हो.
  • कन्या पूजन के लिए पूजा पर बैठाने के पूवे व्रती को स्वयं उनका पैर दूध और जल से धोना चाहिए.
  • कन्या पूजन में उनको खीर, पूड़ी, हलवा, चना, नारियल, दही, जलेबी जैसी चीजों का भोग लगाना उत्तम माना जाता है.
  • भोजन के बाद कन्याओं की विदाई करते समय यथाशक्ति दक्षिणा दें और उनका पैर छूकर उनका आशीर्वाद जरूर लें.

 

 

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