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नवरात्रि में कन्या पूजन का क्या है महत्व? जानें उम्र के हिसाब से कन्या पूजन के लाभ

नवरात्रि के नव दिनों का पर्व और व्रत कन्या पूजन के बाद समाप्त होता है. शास्त्रों में नवरात्रि व्रत के दौरान कुमारी कन्या पूजन का विधान दिया गया है. श्रीमद्देवीभागवत के अनुसार, कन्या पूजन से मां दुर्गा अति प्रसन्न होती हैं. शास्त्रों में 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कुमारी कन्या के पूजन का विधान बताया गया है. आइए जानते हैं कि किस वर्ष की कन्या के पूजन से भक्तों को क्या लाभ होता है?

  • श्रीमद्देवीभागवत के प्रथम खण्ड के तृतीय स्कंध में 2 वर्ष की कन्या को ‘कुमारी’ कहा गया है. इनकी पूजा करने से भक्तों के दु:ख और दरिद्रता का नाश होता है. धन, आयु एवं बल में वृद्धि होती है.
  • तीन वर्ष की कन्या को ‘त्रिमूर्ति’ कहते हैं. इनके पूजन से धर्म, अर्थ, काम की पूर्ति होती है. इसके अलावा धन और पुत्र-पौत्र की वृद्धि होती है.
  • चार वर्ष की कन्या को ‘कल्याणी’ कहा गया है. इनके पूजन से विद्या, विजय, राज्य तथा सुख की प्राप्ति होती है.
  • पांच वर्ष की कन्या को ‘कालिका’ कहा गया है. इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है.
  • छह वर्ष की कन्या को ‘चंडिका’ कहा गया है. इनके पूजन से ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति होती है.
  • सात वर्ष की कन्या को ‘शाम्भवी’ कहा गया है. इनकी विधि पूर्वक पूजा से लड़ाई एवं वाद-विवाद समाप्त होता है.
  • आठ वर्ष की कन्या को ‘दुर्गा’ का स्वरूप माना गया है. इनके पूजन से परलोक में उत्तम गति और साधना में सफलता प्राप्त होती है.
  • नौ वर्ष की कन्या को ‘सुभद्रा’ कहा गया है. इनके पूजन से जटिल रोगों का नाश होता है.
  • 10 वर्ष की कन्या को ‘रोहिणी’ कहा गया है. इनके पूजन से सभी मनोरथ पूरे होते हैं.

 

 

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