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नवरात्रि की नवमी तिथि पर करें कन्या पूजन, रखें इन बातों का खास ख्याल

नवरात्रि के नौवें (Navratri 9th Day) दिन नवमी तिथि पर कन्या पूजन (Mahanavami Kanya Pujan) किया जाता है. हिंदू धर्म में इसका बड़ा महत्व बताया गया है. इस दिन 10 साल से कम उम्र की कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है. कन्या पूजन के बाद ही नवरात्रि के व्रत संपन्न माने जाते हैं. नवरात्रि पर नौ दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ स्वरूपों का पूजन किया जाता है. कुछ लोग मां दुर्गा को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए नौ दिन उपवास रखते हैं. तो कुछ पहले और आखिरी दिन व्रत रखकर मां की उपासना करते हैं. कहते हैं कि मां दुर्गा के ये व्रत संपन्न तभी माने जाते हैं, जब कन्या पूजन किया जाता है. देवी की तरह इन कन्याओं की पूजा की जाती है. इन्हें भोग लगाकर, पैर छुए जाते हैं और सामर्थ्य अनुसार गिफ्ट आदि देकर विदा किया जाता है. कन्या पूजन में  2-10 साल की कन्याओं का ही पूजन किया जाता है. इस बार महानवमी 14 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी.

नवरात्रि के नवमी तिथि पर कन्या पूजन करते समय इन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए.

कब है महानवमी तिथि (Mahanavami Tithi)

नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. इस बार नवमी तिथि 14 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी. भक्त गुरुवार के दिन कन्या पूजन कर अपने नवरात्रि के व्रत संपन्न करेंगे.

कन्या पूजन विधि (Kanya Pujan Vidhi)

नवमी तिथि पर कन्याओं को निमंत्रण दिया जाता है. जब कन्याएं घर के बाहर आ जाएं, तो गेट से ही उनका फूलों से स्वागत करें. नव दुर्गा के नौ रूपों के जयकारे लगाएं. इन सभी को आरामदायक और स्वच्छ जगह बैठाएं और दूध से भरे थाल में कन्याओं के पैर रखकर सभी के पैरों को हाथ से धोएं. इसके बाद कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें.

इसके बाद माथे पर कुमकुम या तिलक लगाएं. इसके बाद मां भगवती का ध्यान करें और उन्हें इच्छानुसार भोजन कराएं. इसके बाद उनके पैर छूकर दक्षिणा दें और उनसे आशीष लें. इन नौ कन्याओं के बीच किसी लड़के को कालभैरव के रूप में बैठा दें.

कन्या पूजन  के नियम (Kanya Pujan Niyam)

नवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा की जाती है. कहते हैं कि दो साल की कन्या को पूजने से दरिद्रता दूर होती है. तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति रूप मानी जाती है. इनके पूजन से धन-धान्य और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.  कहते हैं कि चार साल की कन्या का पूजन करने से घर का कल्याण होता है. पांच साल की कन्या का पूजन करने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है. वहीं, छह साल की कन्या को कालका रूप कहा गया है. इनकी पूजा करने से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात साल की कन्या का पूजन करने से चंडिका ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है.

आठ वर्ष की कन्या का पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. वहीं, नौ वर्ष दुर्गा का रूप कहलाती है. इनका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है और असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं. अतः 10 साल की कन्या का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

 

 

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