Close

 सिंधिया को लेकर भाजपा ने बदले तेवर – ग्वालियर से डॉ राकेश पाठक

भारतीय जनता पार्टी ने उपचुनाव के बीचोंबीच अपनी रणनीति में बड़ा फ़ेरबदल किया है। अब इस चुनाव के पोस्टर बॉय ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं होंगे। हाई टैक चुनाव रथों पर सिंधिया की एक भी तस्वीर न लगा कर पार्टी ने एक तरह से बदले तेवर का एलान कर दिया है। रथों पर हर तरफ़ सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,मुख्यमंत्री शिवराजसिंह और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की तस्वीरें लगीं हैं। रथों पर एक नारा लिखा है-शिवराज है तो विश्वास है।

कहते हैं  भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोध से चिंतित है।संघ के अपने सर्वे में लगातार यह फीडबैक मिला था कि सिंधिया के दलबदल को जनता में स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। चुनाव के एलान से पहले शिवराज सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ दौरे पर निकले थे।इस पहले दौरे में ही सिंधिया का मुखर विरोध सामने आया था।लगभग हर जगह सिंधिया को सड़कों से लेकर सभाओं तक काले झंडे और गद्दार वापस जाओ के नारों के सामना करना पड़ा।

संघ-भाजपा के अंदरखाने यह चर्चा तेज़ हुई कि अगर सिंधिया को आगे रखकर उपचुनाव के मैदान में उतरा गया तो नुकसान हो सकता है। चुनाव की तारीखों का एलान के बाद सिंधिया लगातार दौरे कर रहे हैं। इन दौरों में आमसभा से लेकर कार्यकर्ताओं से बातचीत तक में ज्योतिरादित्य सिंधिया ख़ुद को ‘महराज’ और ‘महाराजा सिंधिया’ कह रहे हैं। मुरैना जिले में कार्यकर्ताओं की बैठक में एक कार्यकर्ता से सीधे कहा- ‘तुम्हारे सामने ख़ुद महाराज खड़े हैं,खुल कर बोलो।’भांडेर में आमसभा के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कार्यकर्ताओं से कहा कि ‘गांव गांव ख़बर पहुंचा दो कि ये चुनाव रक्षा का नहीं महाराजा सिंधिया का है।’ रक्षा संतराम सिरोनिया भांडेर से भाजपा प्रत्याशी हैं। 

पूरे चुनाव में आगे बढ़ कर ख़ुद अपने मुंह से ‘महाराजा सिंधिया’ कहना भाजपा के उन नेताओं को खटक गया जो वर्षों से सामंतवाद के खिलाफ़ लड़ाई का परचम थामे रहे हैं।पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, प्रभात झा आदि को यह नागवार गुज़र रहा है। उधर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी सिंधिया की इस ऊंची उड़ान से सहज नहीं हैं। वैसे भी तोमर ग्वालियर-चंबल में सिंधिया के दख़ल को लेकर सतर्क हैं। इसी का नतीजा है कि आज चुनाव रथों पर सिंधिया का फोटो तक नहीं लगा है जबकि 28 में से 16 सीटें तो ख़ुद सिंधिया के अपने प्रभाव क्षेत्र ग्वालियर-चंबल की हैं।

चुनाव रथों पर अपने नेता की तस्वीर न लगने से सिंधिया के समर्थक मायूस हैं। करीब 18 साल की सक्रिय राजनीति में जब तक सिंधिया कांग्रेस में रहे उनकी तस्वीर के बिना कोई पोस्टर, बैनर,होर्डिंग छप नहीं सकता था। ख़ास तौर पर ग्वालियर-चंबल में किसी चुनाव में कभी ऐसा नहीं हुआ। अब भाजपा में प्रवेश के बाद इतने महत्वपूर्ण चुनाव में उनकी तस्वीर नहीं लगाया जाना बड़ा संकेत है।

scroll to top