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किसान आंदोलन के चलते बंद सड़क को खोलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने आज नहीं दिया आदेश

किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को खोलने पर सुप्रीम कोर्ट ने आज भी कोई आदेश नहीं दिया. कोर्ट ने सुनवाई 7 दिसंबर के लिए टाल दी है. आज कोर्ट ने किसान संगठनों को याचिका की कॉपी सौंपने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह भी कहा कि कृषि कानूनों का मसला सुनवाई के लिए लंबित होने के बावजूद किसानों को विरोध का हक है, लेकिन सड़क को बंद कर देना गलत है.
क्या है मामला?
नोएडा की रहने वाली मोनिका अग्रवाल ने इस मसले पर मार्च में याचिका दाखिल की थी. उन्होंने किसान आंदोलन केे चलते कई महीने से बाधित दिल्ली और नोएडा के बीच यातायात का मसला उठाया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट को हरियाणा से लगी दिल्ली की कुछ और सीमाओं को भी किसान आंदोलनकारियों की तरफ से रोके जाने की जानकारी मिली. इस पर कोर्ट ने हरियाणा और यूपी को भी पक्ष बनाया लिया था.
43 को जारी हो चुका है नोटिस

पिछले छह महीने से लंबित इस मामले में केंद्र, यूपी और हरियाणा सरकार ने हमेशा यही जवाब दिया कि वह आंदोलनकारियों को समझा-बुझा कर सड़क से हटाने की कोशिश कर रहे हैं. 30 सितंबर को हरियाणा सरकार की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया था कि आंदोलनकारियों से बात कर सड़क खाली करवाने के लिए एक कमिटी बनाई गई है. बातचीत के लिए किसान संगठनों को आमंत्रित किया गया, लेकिन कोई भी नहीं आया. मेहता ने कहा था कि कोर्ट कम से कम यह कहे कि संगठन कमिटी से बात करें. इसके बाद जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच ने 43 संगठनों और नेताओं को नोटिस जारी कर दिया था.

आज क्या हुआ?

आज बहुत कम संख्या में किसान संगठनों ने कोर्ट में वकील भेजे. उनकी तरफ से सिर्फ 2 वकील दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण पेश हुए. दवे ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसने किसानों को बदनाम करने के लिए सड़क बंद की है. अगर किसानों को दिल्ली के रामलीला मैदान आने दिया जाएगा तो सड़क खाली हो जाएगी. इसका विरोध करते हुए सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि इस प्रदर्शन के पीछे कुछ छिपे हुए उद्देश्य हैं. 26 जनवरी को जो हुआ वह सबने देखा. इसपर दवे ने कहा कि यह सब आंदोलन की छवि बिगाड़ने के लिए गढ़ी गयी बातें हैं. लाल किला मामले में सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है.
अगली सुनवाई 7 दिसंबर को
दवे ने यह भी कहा कि किसान संगठनों को अब तक याचिका की कॉपी नहीं मिली है. इसके बाद बेंच ने आदेश लिखवाते हुए कहा कि यह सुनवाई कृषि कानूनों पर नहीं है. इसका मकसद सड़क खाली करवाने तक सीमित है. प्रतिवादियों को याचिका की कॉपी दी जाए. 7 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी. सभी का जवाब देखने के बाद आगे का आदेश दिया जाएगा.
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