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जानिए क्यों, मार्च 2022 तक कार की डिलिवरी टाइम पर नहीं मिलेगी

क्या आप जानते हैं कि गाड़ी की बुकिंग ( Car Booking) के बाद भी उसकी डिलिवरी में लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. अगर हां तो हम आप को बता दें कि ऐसा आने वाले 6 महीने तक और चलेगा. विशेषज्ञों का आंकलन है कि कम से कम मार्च 2022 तक, बुकिंग के बाद भी गाड़ियों की डिलिवरी के लिए लंबा इंतजार करना तय है.

दरअसल दुनियाभर में सेमीकंडक्टर की किल्लत के चलते कार कंपनियों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है. इसी वजह से आपकी कार की डिलिवरी लेट हो रही है.  भारतीय कार कंपनिया चाह कर भी इस समस्या से निपट नहीं पा रही हैं क्योंकि अब तक देश सेमीकंडक्टर चिप के लिए आयात पर निर्भर रहा है.

कोरोना महामारी की वजह से वैश्विक उत्पादन प्रभावित हुआ तो चिप की भी किल्लत बढ़ गई है. Care Rating ने अपनी ताजा रिपोर्ट में इस समस्या का हवाला देते हुए बताया है कि अगले 6 महीने, कार कंपनियों के लिए मुश्किल भरे रहने वाले हैं.

रेटिंग एजेंसी के मुताबिक अगले वित्तवर्ष की शुरुआत यानि अप्रैल 2022 से वैश्विक बाजार में चिप की मुश्किल खत्म होनी शुरू हो सकती है. जब दुनियाभर में हालात सुधरेंगे तब भारत में भी हालात बदलेंगे. यानि उसके पहले नई गाड़ी लेने के लिए इसी तरह से इंतजार ही इंतजार करना पड़ेगा.

क्या है सेमीकंडक्टर ( Semiconductor) ?

ये इलेक्ट्रॉनिक सर्किट से लैस एक ऐसी चिप होती है जिसके जरिए गाड़ी के तमाम इलेक्ट्रॉनिक फीचर्स चलते हैं. पहले गाड़ियां बिना चिप के बना करती थीं लेकिन समय के साथ-साथ बदलाव आए. गाड़ी में म्युजिक सिस्टम से लेकर न जाने कितनी तरह की लाइट और दूसरी चीजें लगने लगीं। यही नहीं गाड़ी की स्टेयरिंग तक ऑटोमैटिक हो गई.

कुल मिलाकर से सेमीकंडक्टर ही है जिसने गाड़ी को चलती-फिरती मशीन और लग्जरी आइटम बना दिया है. आज की तारीख में गाड़ी के लगभग सभी अहम पार्ट चिप से कंट्रोल हो रहे हैं. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं बिना चिप की अगर गाड़ी अगर आप को कार कंपनी बेच दे तो उसका कोई इस्तेमाल ही नहीं हो सकेगा.

यहां हुआ नुकसान

वैसे तो सेमीकंडक्टर की मुश्किल बाइक, कमर्शियल गाड़ियों और ट्रैक्टर सभी क्षेत्रों को परेशान कर रही है लेकिन सबसे ज्यादा असर कारों में देखने को मिल रहा है. आंकड़ों के मुतबिक देश में पैसेंजर गाड़ियों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन कार कंपनियों को अपना उत्पादन घटाने पर मजबूर होना पड़ रहा है.

कार बाजार में 50 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली मारुति सुजुकी ( Maruti Suzuki) और ह्युंडई ( Hyundai) में अगस्त और सितंबर 2021 में सालाना आधार पर 36 और 27 फीसदी की गिरावट देखी गई। वहीं मारुति ने तो चिप की किल्लत की वजह से अक्टूबर महीने में उत्पादन 40 फीसदी घटाने का फैसला किया है.

 

 

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