Close

सरकारी अस्पताल में लापरवाही का आलम, मरीज करते रहते हैं इन्तजार, नहीं खुलता ताला

० बेमेतरा के जिला अस्पताल में करीब 4 माह से 80 लाख की लागत से बने 12 बेड आईसीयू व एचडी यूनिट पर ताला लटका हुआ है
बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला में प्रशासनिक अव्यवस्था व अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा जिलावासियों को भुगतना पड़ रहा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण 100 बिस्तर के जिला अस्पताल में देखने को मिल रहा है। जहां करीब 4 माह से 80 लाख की लागत से बने 12 बेड आईसीयू व एचडी यूनिट पर ताला लटका हुआ है।

इसके अलावा अस्पताल के कक्ष क्रमांक 34 रिकॉर्ड रूम में ताला लगा हुआ है जिसमें बीटीआर रजिस्टर, सेवा पुस्तिका समेत अन्य जरूरी दस्तावेज रखे हुए हैं । बल्कि यह सभी वार्ड मरीजों के लिए है जिसका उन्हें कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है।

गौरतलब है कि यूनिट स्थापना के लिए सिविल वर्क की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को दी गई थी जहां इन यूनिट की स्थापना के लिए वातानुकूलित कमरों को तैयार करने पर करीब 20 लाख रुपए खर्च हुए हैं ।

यूनिट के लिए बेड, एक्यूपमेंट समेत अन्य सामग्री की खरीदी पर करीब 60 लाख रुपए खर्च किए गए हैं परंतु अब तक वार्ड शुरू नहीं होने से इसका जिले वासियों को कोई भी लाभ नहीं मिल रहा है। सरकारें बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए लाखों रुपए खर्च। मगर जब जिले के अस्पतालों में ताला लग जाए.. और मरीजों को घंटो भर इंतजार करना पड़े तो इससे बड़ी लापरवाही और क्या हो सकती है।।

इस संबंध में बेमेतरा के कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला ने कहा कि नए सिविल सर्जन को कहा गया है कि मैन पावर एवं मशीनरी का एक बार आंकलन कर ले एमडीएफ फंड से राशि खरीदी के लिए दी जाएगी उन्होंने कहा जल्द ही व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी।

हालांकि मामले में जिले की कलेक्टर ने अपना पल्ला झाड़ते हुए साफ तौर पर कह दिया कि जल्दी मरीजों का इलाज किया जाएगा। लेकिन ऐसे में अस्पताल में कोई गंभीर मरीज अस्पताल में अपना इलाज कराने के लिए आता है और अस्पताल में ताला लगा हो तो ऐसे में जिम्मेदारी किसकी होगी। अगर कोई इलाज के अभाव में किसी की मौत हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। अस्पताल में करीबन हजारों की तादाद में मरीज सरकारी अस्पताल में ट्रीटमेंट के लिए आते हैं मगर उनका इलाज भगवान भरोसे ही रहता है..

scroll to top