डिजिटल करंसी के बढ़ते चलन और इसमें पारदर्शिता के अभाव से भारत सरकार समेत देश का शीर्ष बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) समय-समय पर अपनी चिंता जाहिर करते रहते हैं. इन तमाम अटकलों पर विराम लगाने के लिए सरकार डिजिटल करंसी को कानून के दायरे में लाने पर विचार कर रही है. साथ ही साथ आरबीआई खुद की डिजिटल करंसी (Digital Currency) शुरू करने पर तेजी से काम कर रहा है.
केंद्रीय बैंक डिजिटल करंसी यानी सीबीडीसी (CBDC) लाने पर काम तेजी से आगे बढ़ रहा है. ये ऐसी करंसी हो सकती है जो पूरी तरह से डिजिटल होगी, न कि नोट या सिक्के की तरह. इसके पायलट प्रोजेक्ट को जल्द ही लॉन्च किया जा सकता है. आरबीआई अधिकारियों की मानें तो यह पायलट प्रोजेक्ट अगले वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल तक लॉन्च हो जाएगा.
RBI की तैयारी
आरबीआई के मुख्य महाप्रबंधक पी. वासुदेवन ने आरबीआई की डिजिटल करंसी (Central bank digital currency-CBDC) के सवाल पर कहा कि मुझे लगता है कि कहीं न कहीं यह कहा गया था कि कम से कम अगले साल की पहली तिमाही तक एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया जा सकता है.
उन्होंने ये भी बताया कि सीबीडीसी से संबंधित विभिन्न बारीकियों को देखा जा रहा है. यह कहना कोई आम बात नहीं है कि सीबीडीसी कल से एक आदत हो सकती है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इसके लिए हमें बहुत सतर्क रहना होगा और देखना होगा कि क्या यह एक बड़े पैमाने पर हो या एक छोटा हिस्सा. साथ ही इसका उद्देश्य भी निश्चित होना चाहिए.
क्रिप्टो से बिल्कुल अलग भारतीय डिजिटल करंसी
आसान भाषा में कहें तो सीबीडीसी यानी आरबीआई की डिजिटल करंसी का इस्तेमाल हम अपने सामान्य रुपये-पैसे के रूप में किया जा सकेगा. कह सकते हैं कि अब रुपये-पैसे डिजिटल फॉर्म में होंगे. रिजर्व बैंक ही इस डिजिटल करंसी सीबीडीसी को जारी करेगा. यानी इसके लेन-देन पर आरबीआई का कंट्रोल होगा. जबकि, क्रिप्टोकरंसी पर किसी बैंक या सरकार का कंट्रोल नहीं होता है. ये पूरी तरह से डी-सेंट्रलाइज होती है. बैंक से क्रिप्टो का कोई लेनादेना नहीं होता.
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