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मुख्यमंत्री बघेल ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, कोरोना मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की

रायपुर: कांग्रेस ने कोरोना महामारी से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 4 लाख राहत राशि देने की  मांग की है.कांग्रेस पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की इस मांग का छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समर्थन किया है. इस संबंध में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर कहा है कि कोरोना से मृतक व्यक्ति के परिवारों को मुआवजा के रूप में पूर्व घोषित 4 लाख रूपए की राशि देने के लिए आवश्यक पहल करें.

सीएम बघेल ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी

प्रधानमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में सीएम बघेल ने लिखा है कि केन्द्र सरकार गृह मंत्रालय द्वारा 14 मार्च 2020 को जारी अपने पहले आदेश को लागू करें, जिसमें सरकार ने प्रति मृतक 4 लाख रूपए की राशि देने की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री बघेल ने चिट्ठी में यह भी अवगत कराया है कि केन्द्र सरकार ने बाद में इस अधिसूचना में संशोधन किया और मुआवजे की राशि को घटकार 50 हजार रूपए कर दिया. हमें लगता है कि ऐसे संकट के समय में मृतक के परिवार को 4 लाख रूपए की राशि प्रदान करना जरूरी है.

सीएम बघेल ने कोरोना मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने में केंद्र से मांगा सहयोग

सीएम बघेल ने अपने पत्र में लिखा है कि एसडीआरएफ मानदंडों के अनुसार मुआवजा राशि 4 लाख रूपए में से 75 प्रतिशत जो कि 3 लाख होते हैं, केन्द्र सरकार द्वारा वहन किया जाना है, जबकि शेष 25 प्रतिशत जो कि एक लाख रूपए है, राज्यों की जिम्मेदारी होगी. हम कुल 4 लाख रूपए मुआवजे की राशि में से राज्य के हिस्से की राशि देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसमें हम आपके सहयोग की अपेक्षा करते हैं ताकि संकट की इस घड़ी में हम अपने नागरिकों के साथ खड़े हो सकें और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन जीने में अपना योगदान दे सकें.

मुआवजे की राशि को केन्द्र और राज्य वहन करते हैं

मुख्यमंत्री बघेल ने चिट्ठी में यह भी अवगत कराया है कि हमारे संविधान में निहित जनकल्याण भाव-हमारे नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आवश्यक सेवाओं का मूल अधिकार प्रदान करता है. इसके साथ ही हमारा संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार देता है कि राज्य से अपने संवैधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करा सके. 11 सितम्बर 2021 को भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत किया था जिसमें कहा गया था कि वह एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष) के माध्यम से कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों के परिवारों को मुआवजा राशि के रूप में 50 हजार रूपए का भुगतान करेगा. एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के तहत मुआवजे की राशि को केन्द्र और राज्य द्वारा क्रमशः 75 प्रतिशत से 25 प्रतिशत के अनुपात में साझे रूप से वहन किया जाता है.

मुआवजे के रूप में 50 हजार रुपये पर्याप्त नहीं

मुख्यमंत्री बघेल ने चिट्ठी ये भी लिखा है कि कि कोविड-19 महामारी ने इस देश की अधिकांश आबादी को बुरी तरह प्रभावित किया है. लोगों की असमय मौत हुई है, व्यवसाय बंद हो गए हैं, लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं. परिवारों ने अपने कमाऊ सदस्यों को खो दिया है और महामारी के दौरान निजी अस्पतालों में इलाज के खर्च ने उन्हें सड़कों पर ला दिया है. परिवारों ने अपनी सारी बचत गंवा दी है और वो भारी कर्ज में डूब गए हैं. ऐसे कठिन समय में मुआवजे के रूप में सिर्फ 50 हजार रूपए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं हैं. बता दें कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया है कि 4 लाख रूपए मुआवजा देने के बाद केन्द्र सरकार के पास कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार के खजाने में पर्याप्त धन नहीं बचेगा. जबकि सरकार द्वारा लगातार महंगा पेट्रोल, डीजल बेच कर जनता से कर एकत्रित करना जारी है और दूसरी तरफ कार्पोरेट मिलों को लगातार कर में रियायत दी जा रही है. वही सरकार देश के आम नागरिकों को कोई राहत देने से इनकार करती है।

जरूरत के समय नागरिकों की देखभाल राष्ट की जिम्मेदारी- बघेल

मुख्यमंत्री बघेल ने चिट्ठी में यह भी अवगत कराया है कि एक लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर आधारित राष्ट्र की यह जिम्मेदारी है कि वह जरूरत के समय अपने नागरिकों की देखभाल करें. हमने अपने राज्य में इस कठिन समय में लोगों की मदद करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की है. हमें उम्मीद है कि केन्द्र सरकार भी इस जिम्मेदारी को साझा करेगी.

 

 

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