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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे हैं। पीएम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान के चलते ही आज देश के गरीब और महिलाएं सशक्त हैं। उन्होंने कहा कि भारत आज तमाम मुश्किलों को पीछे छोड़ आगे बढ़ रहा है। पीएम ने कहा कि युवाओं को देश के संविधान की जानकारी होना जरूरी है, जब वो इसे जानेंगे तो उन्हें कई सवालों के जवाब खुद मिलेंगे।

पीएम ने कहा – सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है

पीएम ने कहा कि आज के वैश्विक हालात में पूरे विश्व की निगाहें भारत पर टिकी हैं। भारत के तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और इसकी मजबूत वैश्विक छवि के चलते दुनिया हमें बड़ी उम्मीदों के साथ देख रही है। पीएम ने कहा कि इसके पीछे सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान ही है।

ई-कोर्ट परियोजना की शुरुआत

इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सबसे पहले ई-कोर्ट परियोजना की शुरुआत की। इस परियोजना के तहत वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, डिजिटल कोर्ट और जस्टिस मोबाइल एप 2.0 शुरू की जाएगी। पीएम ने लांचिंग के बाद कहा कि 1949 में आज ही के दिन स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नई भविष्य की नीव डाली थी। इस बार का संविधान दिवस इसलिए भी विशेष है क्योंकि भारत ने अपने आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं।

अटॉर्नी जनरल बोले- समन्वय के लिए आवास बनाया जाना चाहिए

अटार्नी आर वेंकटरमनी ने कार्यकर्म को संबोधित करते हुए कहा कि जाति और अन्य सामाजिक विभाजन की कुछ हानिकारक समस्याओं को मिटाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि समानता का दावा जटिल है और नए विभाजन पैदा किए बिना कानून, समाज और अदालतों के बीच समन्वय के लिए आवास बनाया जाना चाहिए।

 रिजिजू ने कहा : स्वतंत्रता ने हम पर बड़ी जिम्मेदारियां डाली

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि डा बीआर अंबेडकर ने कहा था कि इस स्वतंत्रता ने हम पर बड़ी जिम्मेदारियां डाली हैं, जिसे हमे आज भी याद रखना होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई मौकों पर अदालतों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है ताकि न्यायिक प्रणाली में हमारे देश के आम लोगों का विश्वास बढ़ाया जा सके और उन्हें भी जुड़ा हुआ महसूस कराया जा सके।

इसलिए मनाया जाता है संविधान दिवस

देश के संविधान के निर्माता डा बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए सामाजिक न्याय मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को 26 नवंबर को देश संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। इसका उद्देश्य देश के लोगों को संविधान के बारे में जागरुक करना भी है। संवैधानिक मूल्यों की जानकारी देश के हर नागरिक को हो इसके लिए संविधान दिवस मनाने का फैसला हुआ था।

 

 

 

 

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