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सिर्फ 22 साल की उम्र में बने सबसे महंगे खिलाड़ी, कभी माराडोना के पिता गांव-गांव में घूमकर मवेशियां बेचा करते थे

अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो माराडोना का निधन बुधवार (25 नवंबर) को हुआ. पेले की ही तरह दस नंबर की जर्सी पहनने वाले दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में गिने जाने वाले माराडोना 60 वर्ष के थे. महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार माराडोना शोहरत, पैसा और बदनामी के चलते हमेशा सुर्खियों में रहे. एक समय माराडोना दुनिया के सबसे महंगे खिलाड़ी थे, हालांकि उनका जीवन बेहद गरीबी में गुजरा था.

माराडोना का जन्म 1960 में अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स के झुग्गी-झोपड़ियों वाले एक कस्बे लानुस में हुआ था. माराडोना सीनियर के आठ संतानों में माराडोना उनके पांचवें बच्चे थे. माराडोना का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा. उनके पिता आस-पास के गांवों घूम-घूमकर मवेशी बेचा करते थे. बाद में उन्होंने एक केमिकल फैक्ट्री में नौकरी की. माराडोना सिर्फ 15 वर्ष की आयु में ही सुपरस्टार बन चुके थे.

1982 में स्पेन के मशहूर क्लब बार्सिलोना ने अर्जेंटीना के इस स्टार खिलाड़ी के साथ 3 मिलियन पाउंड (करीब 30 करोड़ रुपये) में करार किया था. फुटबॉल जगत में इस करार से उस समय हलचल मच गई थी. किसी को भी उस समय यह विश्वास नहीं हुआ कि किसी खिलाड़ी को इतनी रकम भी मिल सकती है. 1982 के वर्ल्ड कप में दो गोल दागने वाले माराडोना का 1980 से 1990 के बीच पूरी तरह फुटबॉल जगत पर दबदबा था.  इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि साल 1984 में जब इटली के क्लब नेपोली ने माराडोना से करार किया तो उन्हें 5 मिलियन पाउंड (करीब 50 करोड़ रुपये) दिए गए.

माराडोना ने 491 मैचों में कुल 259 गोल दागे थे. अर्जेंटीना को 1986 में विश्व कप विजेता बनाने वाले और 1990 में फाइनल तक पहुंचाने वाले माराडोना ने 91 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 34 गोल दागे. इतना ही नहीं एक सर्वे में उन्होंने पेले को पीछे छोड़ ’20वीं सदी के सबसे महान फ़ुटबॉलर’ होने का गौरव अपने नाम कर लिया था. हालांकि फीफा ने वोटिंग के नियम बदल दिए थे और साल 2001 में दोनों खिलाड़ियों को सम्मानित किया था.

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