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परसा कोल परियोजना के प्रभावित ग्राम हुए लामबंद, खदान शुरू कराने 1700 से ज्यादा ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री और क्षेत्रीय विधायक को लिखा पत्र

० कोयला मंत्री को भी भेजी इसकी प्रतिलिपि

उदयपुर।परसा कोल परियोजना को शुरू कराने के लिए सारे प्रभावित गांव अब एक जुट हो अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। ग्राम साल्हि, जनार्दनपुर, फत्तेपुर, हरिहरपुर, तारा और घाटबर्रा सहित प्रभावित गांव के 1700 से ज्यादा ग्रामीणों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और क्षेत्र के विधायक और स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्री टी एस सिंहदेव को पुनः एक पत्र लिखकर परियोजना शुरू कराने का अनुरोध किया है। जिसकी प्रतिलिपि भारत सरकार के कोयला मंत्री, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, सचिव कोयला मंत्रालय, ऊर्जा सचिव राजस्थान सरकार सीएमडी राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल), कलेक्टर जिला सरगुजा और अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) उदयपुर को भेजी गयी। आरआरवीयूएनएल को आवंटित यह कोल परियोजना छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य जिले सरगुजा के उदयपुर विकासखंड और सूरजपुर के प्रेमनगर विकासखंड में स्थित है।

ग्रामीणों ने 3 नवंबर को भेजे गए पत्र में लिखा है कि “उन्हें ज्ञात हुआ है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा परसा कोयला परियोजना को निरस्त करने की प्रक्रिया की जा रही है जिसके प्रस्ताव को आगे न भेजा जाये जिससे उन सभी के लिए रोजगार और आगे बढ़ने के संसाधनों का विकास भी सुनिश्चित हो सके। वर्तमान में वे सभी ग्रामवासी क्षेत्र में चलने वाले खदान से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो रहे हैं। जिसे तहसील मुख्यालय तक भी महसूस किया जा रहा है। इस क्षेत्र में आरआरवीयूएनएल के द्वारा उनके बच्चों के अच्छी शिक्षा के लिए कक्षा 10 वीं तक के सीबीएससी बोर्ड का अंग्रेजी माध्यम का स्कूल निःशुल्क संचालित किया जा रहा है जिसे इस वर्ष कक्षा 12 वीं तक बढ़ाया जा रहा है। वहीं 100 बिस्तरों का अस्पताल भी बनने जा रहा है। इन सभी सुविधाओं का लाभ वे सभी लेना चाहते हैं। साथ ही शहरों की सारी मूलभूत सुविधाओं का लाभ वे इस वन क्षेत्र में सुनिश्चित करना चाहते है जिससे उनका समग्र विकास हो सके।”

अपने पत्र में खदान परियोजना के विरोधियों को “बाहरी एनजीओ” बताते हुए कुछ ग्रामीणों को उकसाने और विरोध कराने और नाम मात्र की संख्या बताते हुए ज्यादातर के सहमत और विकास की धारा में चलने की बात भी कही। ग्रामीणों ने यह भी लिखा कि ग्राम साल्हि, जनार्दनपुर, फत्तेपुर, हरिहरपुर, तारा और घाटबर्रा के कुल 722 लोगों ने अपनी जमीन देकर मुआवजा प्राप्त कर लिया है। इसमें से 478 लोगों ने रोजगार के एवज में एकमुश्त मुआवजा ले लिया है जबकि 188 लोगों ने रोजगार का विकल्प चुना था और उनमें से अब तक 10 लोगों को नौकरी मिल चूकी है। शेष 178 लोग नौकरी पाने की प्रतीक्षा में हैं।

इसी सिलसिले में इन सभी ग्रामीणों का 50 लोगों का एक प्रतिनिधि ने कांग्रेस के शीर्ष नेता से भारत जोड़ो यात्रा में मिलने 27 नवंबर को इंदौर भी पहुँच गया। जहां वे सभी राहुल गांधी से मिल प्रार्थना पत्र के देकर परियोजना के बंद होने से रोजगार की समस्या, विकास की मूलभूत सुविधाओं इत्यादि से अवगत कराने उपस्थित हुए। किन्तु पुरजोर कोशिश के बावजूद राहुल के रैली में चलने वाले हुजूम में मिलने में सफल न हो सके। वहीं इस यात्रा से जुड़े हुए राहुल गांधी की टीम के नेतागणों ने उन्हें सुना और उनके पत्र को पार्टी के आलाकमान तक पहुंचाने का भरोसा दिलाया।

छत्तीसगढ़ में भारत सरकार द्वारा अन्य राज्य जैसे गुजरात, महाराष्ट्र, आँध्रप्रदेश, राजस्थान इत्यादि को कोल् ब्लॉक आवंटित किये गए हैं। जिसमें राजस्थान सरकार के 4400 मेगावॉट के ताप विद्युत उत्पादन संयंत्रों के लिए सरगुजा जिले में तीन कोयला ब्लॉक परसा ईस्ट केते बासेन (पीईकेबी), परसा और केते एक्सटेंशन आवंटित किया गया है। वर्तमान में संचालित पीईकेबी खदान में पर्यावरण के संरक्षण और उन्ययन हेतु 9 लाख से ज्यादा पेड़ों को 1000 एकड़ के रिक्लेम्ड क्षेत्र में शाल, महुआ, हर्रा, टीक, सागौन, शीशम, खम्हार, आंवला इत्यादि प्रजाति सहित 50 से ज्यादा पेड़ों को एक विशेष नर्सरी विकसित करके लगाया गया है। जो की विगत एक दशक में 30 से 40 फीट लम्बे होकर एक घने जंगल का रूप ले चुका है। वहीं ट्री ट्रांसप्लांटर मशीन के द्वारा 9000 से ज्यादा पेड़ों को स्थांनातरित कर सुरक्षित जगह में स्थापित किया गया है।

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा कोयला खदान के लिए अधिग्रहित कुल 1253 हे. भूमि में से लगभग 841 हेक्टेयर वनभूमि है तथा शेष सरकारी और निजी भूमि शामिल है। भारत सरकार की पर्यावरण, वन और जलवायु विभाग की अनुमति के बाद राज्य सरकार के विभागों द्वारा खनन कार्य शुरू करने की अनुमति कुछ शर्तों के आधार पर प्रदान की गई है। वहीं इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने उच्चाधिकारियों के साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर अपने राज्य में चल रही कोयले और बिजली की किल्लत का हल निकालने के लिए भी आये थे। श्री बघेल ने उनको भरोसा दिलाया था की वे राजस्थान को नियमानुसार हर तरह की सहायता प्रदान करेंगे। उसके बाद परसा के स्थानीय लोग को आशा जगी थी की क्षेत्र में खदान खुलने से उन्हें रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा। अब एक बार फिर परियोजना को शुरू कराने में प्रयत्नशील 1700 ग्रामीणों के समूह की गुहार उनके जीवन को रोजगार और विकास की मुख्यधारा में जोड़ने में कैसे सहायक होगी।

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