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‘ब्‍लर’ मूवी रिव्यू : तापसी पन्नू ने फिर दिखाया ओटीटी पर अपना दम

तापसी पन्नू

‘ब्‍लर’ का रिव्‍यू

ओटीटी की दुनिया में साइकोलॉजिकल थ्र‍िलर की अच्‍छी खासी मांग है। अजय बहल के डायरेक्‍शन में बनी ‘ब्‍लर’ दर्शकों की दिमाग को झकझोर देने वाले रोमांच के खुराक को पूरा करती है। फिल्‍म की शुरुआत एक रात से होती है, जहां गौतमी (तापसी) किसी से बहस कर रही है। लेकिन थोड़ी देर बाद ही आपको यह एहसास होता है कि गौतमी तो कमरे में अकेली है। इसके बाद अंधी गौतमी को हम फांसी लगाने की कोश‍िश करते हुए देखते हैं। फिर वहां कोई गौतमी के पैरों के नीचे लगे स्‍टूल को गिराता है। इस तरह कुछ गहरे रहस्य, सनकी किरदारों और गौतमी की जुड़वा बहन गायत्री (तापसी) की कहानी शुरू होती है। कहानी में गौतमी का पति नील (गुलशन देवैया) भी है। साथ में हैं इस मौत की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी महेंद्र चंदेल (सुमित निझावन), जो केस को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

तापसी पन्नू ने जुड़वा बहन का निभाया किरदार

थ्रिलर फिल्मों की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि फिल्म से दर्शकों का रोमांच अंत तक बना रहता है। लेकिन ‘ब्लर’ देखने के बाद ऐसा रोमांच नही रहता है। तापसी पन्नू ने जुड़वा बहन का किरदार निभाया है, दोनों किरदार में काफी समानता है। गायत्री अपनी बहन की  मौत का पता लगाते लगाते अपनी आंखों की रोशनी खो देती हैं और अपनी बहन की तरह अंधी हो जाती है, यहां यह लॉजिक समझ में नहीं आता कि गायत्री अपनी बहन गौतमी की तरह अंधी क्यों हो जाती है? जुड़वा बहन होने के नाते यह जरूरी नहीं कि जो बीमारी एक बहन को हो वह बीमारी दूसरी भी बहन को हो।

कसौटी तर्क की

डॉक्टर गायत्री को सलाह देते है कि अगर आंख का जल्द ऑपरेशन नहीं हुआ, तो उसकी आंखों की रोशनी कभी भी जा सकती है। इतना ही नहीं प्रकाश उसकी आंखों के लिए जहर की तरह है। अपनी व्यक्तिगत समस्या से जूझती गायत्री अलग-अलग लोगों से जाकर मिलती है। अपनी बहन के बारे में पूछताछ करती है। इस दौरान कोई शख्स उसका पीछा करने लगता है, इन सबसे बेपरवाह गायत्री को पता चलता है कि उसकी बहन का एक बॉयफ्रेंड भी था। गायत्री के साथ भी वैसी ही घटनाएं घटने लगती है, जैसी घटनाएं उसकी बहन के साथ घटी थी।

‘ब्लर’ का निर्माण दर्शकों को ध्यान में रखकर किया

पूरी फिल्म की कहानी गौतमी की हत्या किसने की, इसी के इर्द गिर्द घूमती है। कहीं उसकी हत्या में गायत्री के पति नील का हाथ तो नहीं है? इस तरह से कहानी आगे बढ़ती रहती है और महसूस होता है कि ऐसी कहानियां तो दर्शक पहले भी कई बार फिल्मों में देख चुके हैं। फिल्म की कहानी सिर्फ तीन चार किरदारों के ही इर्द गिर्द घूमती और दर्शकों को यह समझते देर नहीं लगती कि गायत्री की बहन की हत्या किसने की होगी। तापसी पन्नू मानती है कि थ्रिलर फिल्में देखने का एक खास वर्ग है और उन्होंने ‘ब्लर’ का निर्माण उन्हीं खास वर्ग के दर्शकों को ध्यान में रखकर किया है।

पूरी फिल्म तापसी पन्नू के कंधे पर ही टिकी हुई है

ऐसी स्थिति में तापसी पन्नू की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है, लेकिन फिल्म में वह सिर्फ तापसी पन्नू ही नजर आईं, उन्हें अपने कंफर्ट जोन से निकलने की जरूरत है। फिल्म की कहानी तापसी पन्नू को पसंद आई और फिल्म ‘ब्लर’ को अपने तरीके बना सके, इसलिए उन्होंने फिल्म का निर्माण खुद ही किया। स्ट्रेसफुल किरदार में दर्शक तापसी पन्नू को काफी समय से देखते आ रहे हैं और अब उन्हें इससे हटकर कुछ अलग किस्म के किरदार निभाने चाहिए। तापसी पन्नू के अलावा फिल्म में गुलशन देवैया मजबूत कड़ी हो सकते थे, लेकिन उनको स्क्रीनस्पेस बहुत कम मिला, फिल्म के बाकी कलाकारों का भी अभिनय सामान्य है।

यह फिल्म थ्र‍िलर और सस्‍पेंस को बनाए रखती है

फिल्म के पहले भाग में आपको खुद को जितना रोमांचित महसूस करते हैं। डर और रोमांच का जो मिश्रण आपको पहले हाफ में दिखता है, वह सेकेंड हाफ त‍क आते-आते जैसे खत्‍म हो जाता है। फिल्‍म में हॉरर वाला पुट कहीं गायब हो जाता है। हालांकि, फिर भी यह फिल्म थ्र‍िलर और सस्‍पेंस को बनाए रखती है, जो आपको अंत तक स्‍क्रीन से बांधे रखेगी।

 

 

 

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