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आज नई संसद की आधारशिला रखेंगे पीएम मोदी, सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते नहीं होगा निर्माण

नई दिल्ली: आज देश की नई संसद की नींव रखी जाएगी. पीएम मोदी नए संसद भवन का शिलान्यास करेंगे. नई संसद पुरानी से बड़ी होगी और इसका डिजाइन भी काफी अलग रहने वाला है. ये नया संसद भवन ना केवल पुराने भवन से बड़ा होगा बल्कि इसका आकार भी गोल ना होकर त्रिभुज के जैसा होगा. लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर यानी संसद को आज तक हम बाहर से ऐसी गोलाकार इमारत और उसके खंभों से पहचानते आए हैं. करीब 100 पुराने इस भवन को अब एक नया रंग रूप मिलने जा रहा है. आइए जानते हैं इससे जुड़ी दस बड़ी बातें…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दोपहर एक बजे नए संसद भवन का भूमि पूजन करेंगे. इस समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी, आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह शामिल होंगे. केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री, संसद सदस्य, सहित लगभग 200 लोग लाइव वेबकास्ट के जरिये भूमि पूजन समारोह में मौजूद रहेंगे.

अक्टूबर 2022 तक नए भवन का निर्माण पूरा करने की तैयारी है, ताकि देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर इसी भवन में सत्र का आयोजन हो. यह अगले सौ साल की जरूरतों के मद्देनजर बनाया जाएगा. ताकि भविष्य में सांसदों की संख्या बढ़ने पर भी कोई दिक्कत न आए.

नए संसद भवन को शास्त्री भवन के पास की खाली ज़मीन पर बनाया जाएगा. नया संसद भवन का निर्माण करीब 64500 वर्गमीटर जमीन पर होगा. नई संसद पुरानी संसद से 17 हजार वर्गमीटर बड़ी है और इसे बनाने में करीब 971 करोड़ रूपए की लागत आएगी.

नए संसद भवन में लोकसभा सदस्यों के लिए 888 सीटें और राज्यसभा सदस्यों के लिए 326 से ज्यादा सीटें होंगी. इतना ही नहीं इसमें 1224 सदस्यों के एक साथ बैठने की भी व्यवस्था होगी. प्रत्येक सदस्यों के लिए 400 वर्गफुट का एक कार्यालय भी इस नए भवन में होगा.

मौजूदा पार्लियामेंट हाउस बिल्डिंग का निर्माण आज़ादी से कई साल पहले सन् 1911 में शुरू हुआ था और आखिरकार इसके 20 साल बाद यानि 1927 में हुआ था इसका उद्घाटन हुआ. 100 साल से भी ज़्यादा वक्त से खड़े संसद भवन के नवनिर्माण या इसकी जगह नई इमारत बनाने की मांग सालों से की जा रही थी.

नया संसद भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा. साथ ही इसमें भारतीय संस्कृति और शिल्पकारों की कलाकृतियों को भी झलक दिखेगी. नए संसद भवन को भूकंप रोधी बनाया जाएगा. नए संसद भवन के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को दिया गया है. वहीं इसका डिजाइन एचसीपी डिजाइन और प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है.

वैसे सरकार का प्लान तो संसद के अलावा इसके पास की सरकारी इमारतों को भी नए सिरे बनाने का था. इन सभी भवनों का दिल्ली का सेंट्रल विस्टा कहा जाता है. इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन की ओर करीब 3 किलोमीटर का ये सीधा रास्ता और इसके दायरे मे आने वाली इमारतें जैसे कृषि भवन, निर्माण भवन से लेकर संसद भवन, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, रायसीना हिल्स पर मौजूद राष्ट्रपति भवन तक का पूरा इलाका सेंट्रल विस्टा कहलाता है.

मोदी सरकार का प्लान इसी पूरे सेंट्रल विस्टा को बदलने का था लेकिन कुछ वजहों से सुप्रीम कोर्ट निर्माण कार्य पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद समेत कई अहम सरकारी इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में किसी भी निर्माण पर फिलहाल रोक लगा रखी है.

सुप्रीम कोर्ट की रोक का आधार सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला लंबित है. इन याचिकाओं पर कोर्ट ने 5 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखा था. तब कोर्ट ने कहा था कि वह इस पहलू पर करेगा कि क्या प्रोजेक्ट के लिए सभी कानूनी ज़रूरतों का पालन किया गया है. नई संसद और दूसरी इमारतों का निर्माण तभी शुरू हो सकेगा, जब कोर्ट उसे मंजूरी देगा.

नए संसद भवन के निर्माण के दौरान पर्यावरण अनुकूल कार्यशैली का इस्तेमाल होगा. नए भवन में उच्च गुणवत्ता वाली ध्वनि औरदृश्य-श्रव्य सुविधाएं, बैठने की आरामदायक व्यवस्था, आपातकालीन निकासी की व्यवस्था होगी. इमारत उच्चतम संरचनात्मक सुरक्षा मानकों का पालन करेगी.

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