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जानें इनकम टैक्स रिफंड के नियम, आखिर क्यों होती है रिफंड में मिलने में देरी

अगर आप अपनी टैक्स देनदारी से ज्यादा टैक्स भरते हैं तो आपको टैक्स रिफंड मिलता है. आम तौर पर रिटर्न सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट में प्रोसेस होने के कुछ ही समय बाद रिफंड मिल जाता है लेकिन अगर इनकम टैक्स रिटर्न भरने में कोई गलती हुई है तो आपके बैंक खाते में इसे क्रेडिट होने में देरी होती है. अगर आपने कर निर्धारण वर्ष 2020-21 के लिए रिटर्न भरा है और रिफंड नहीं आया है तो ऐसा कोविड-19 की वजह से हो सकता है.

इनकम टैक्स के मुताबिक कर निर्धारण वर्ष ( Income tax assesment year) 2020-21 का इनकम टैक्स रिटर्न CPC 2.0 के जरिए प्रोसेस किया जाएगा. इस वजह से रिफंड में देरी हो रही है. हालांकि, इनकम टैक्स विभाग ने नए CPC 2.0 प्लेटफॉर्म पर माइग्रेशन और कर निर्धारण वर्ष 2020-21 के इनकम टैक्स रिटर्न की प्रक्रिया शुरू होने की कोई तय समय नहीं बताया.

अगर रिफंड मिलने में देर हो रही है तो इसकी कुछ वजह हैं. कोविड-19 की वजह से विभाग के कामकाज में दिक्कत आ रही है.. इसके अलावा ITR की तेजी से प्रोसेसिंग के लिए सॉफ्टवेयर को अपग्रेड किया जा रहा है. इस टेक्निकल अपग्रेड के कारण इनकम टैक्स रिफंड में देरी हो सकती है. हालांकि विभाग पूरी तेजी से प्रोसेसिंग के काम में लगा है.

कई वजहों से टैक्स रिफंड में देरी हो सकती है. अगर आपने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त गलत या अधूरी जानकारी दी है तो रिफंड मिलने में देर हो सकती है. अगर आपने बैंक IFS कोड देने में गलती है या बैंक अकाउंट नंबर गलत भरा है तो रिफंड मिलने में देरी हो सकती है. कई बार जरूरी डॉक्यूमेंट न देने की वजह से भी टैक्स रिफंड में देरी हो सकती है. अगर आईटीआर भरने की आखिरी तारीख के बाद रिफंड में मिलने में देरी होती है तो टैक्स डिपार्टमेंट आपको 6 फीसदी की दर से ब्याज देता है.

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