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राज्यपाल सुश्री उइके ने वीर बाल दिवस के अवसर पर साहसी वीर बालक और बालिकाओं को किया सम्मानित

० वीर बाल दिवस के अवसर पर सम्मानित बच्चों को राज्यपाल ने स्वेच्छा अनुदान मद से सहायता राशि देने की घोषणा की
रायपुर। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज राजभवन में वीर बाल दिवस के अवसर पर प्रदेश के साहसी वीर बालक और बालिकाओं को सम्मानित किया। इस दौरान राज्यपाल ने सम्मानित चार बहादुर बालक-बालिकाओं को स्वेच्छा अनुदान मद से आर्थिक सहायता राशि प्रदाय करने की बात कही। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के तत्वाधान में वीर बाल दिवस कार्यक्रम का आयोजन राजभवन में किया गया था। इस अवसर पर राज्यपाल के विधिक सलाहकार राजेश श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।

राज्यपाल ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में गुरू गोविन्द सिंह तथा उनके बलिदानी साहिबजादों को नमन किया। उन्होंने कहा कि सिक्खों के दसवें गुरू गोविन्द सिंह जी के साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेहसिंह जी के द्वारा 26 दिसंबर को सिक्ख धर्म के गौरव की रक्षा के लिए क्रमशः 09 और 06 वर्ष की आयु में अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया गया। गुरू गोविंद सिंह के पुत्र जुझार सिंह और अजित सिंह ने भी धर्म की रक्षा में अपनी शहादत दी थी। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सिक्ख समुदाय के गौरवमयी इतिहास से भावी पीढ़ी को अवगत कराने के उद्देश्य से वीर बाल दिवस मनाने की सराहनीय पहल की है। इस अवसर पर राज्यपाल ने बहादुर बच्चों सुश्री उन्नति शर्मा, सुश्री जम्बावती भूआर्य, मास्टर दुर्गेश सोनकर और सीताराम यादव के साहस और सूझबूझ की प्रशंसा की। राज्यपाल ने कहा कि बच्चों ने संकटग्रस्त समय में परिजनों तथा मित्रों की सहायता के लिए अपने शौर्य का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के वीरता भरे कार्यों के लिए सदैव स्नेह एवं प्रोत्साहन मिलना चाहिए ताकि अन्य बच्चे भी उनसे प्रेरित हो। राज्यपाल ने सिविल सेवा सोसायटी की पुरस्कार के माध्यम से बच्चों के उत्साहवर्धन करने की पहल की सराहना की।

सिविल सोसायटी के सदस्य डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना ने इस अवसर पर अपना संबोधन दिया। साथ ही सदस्य डॉ. कुलदीप सोलंकी ने सिविल सोसायटी के स्थापना के उद्देश्य और गतिविधियों के संबंध में राज्यपाल को अवगत कराया। इस अवसर पर अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र सिंह केम्बो ने भी सम्बोधित किया।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी द्वारा गुरू गोविन्द सिंह के साहिबजादों के बलिदानी दिवस को वीर बाल दिवस के रूप में मनाये जाने के संबंध में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा केन्द्र सरकार के साथ सतत् पत्राचार किया। फलस्वरूप सिक्ख समुदाय के सम्मान स्वरूप वीर बाल दिवस मनाये जाने की घोषणा की गई थी।

वीर बाल दिवस पर सम्मानित बच्चों के साहस की कहानियां

आज वीर बाल दिवस के अवसर पर राजभवन में सम्मानित हुए चार बच्चों ने जो साहसिक कार्य किए हैं, वो अत्यंत प्रेरणादायी है। राज्यपाल ने बच्चों के साहसिक कार्य की सराहना की। इन चार बच्चों में से एक रायपुर के टिकरापारा की रहने वाली 12 वर्षीय उन्नति शर्मा के मामा के घर में आग लग गई थी। आग लगने के दौरान उसका छोटा भाई घर पर था, उन्नति ने समझदारी दिखाते हुए घर में विद्युत आपूर्ति बंद कर दी और अपने भाई को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इसी प्रकार दुर्ग के 11 वर्षीय दुर्गेश सोनकर ने साहस का परिचय देते हुए हमलावरों से अपने तीन छोटे भाई-बहनों की जान बचाई। साथ ही निडरता के साथ पुलिस का सहयोग कर अपने परिजनों के हमलावरों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

साहस का परिचय देती हुई ऐसी ही घटना जिला-बेमेतरा के खमरिया क्षेत्र में हुई, जहां बालिका ज्योति पटेल और रागिनी पटेल नदी में बह गई थी, तभी बालक सीताराम यादव बालिकाओं को बचाने के लिए नदी में कूद गया। सीताराम यादव ने अपने सूझबूझ और साहस से रागिनी को बाहर निकाल लिया और उसकी जान बचाई। दुर्भाग्यवश ज्योति की जान नहीं बचाई जा सकी।

इसी प्रकार कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर की रहने वाली जम्बावती भूआर्य और उसकी छोटी बहन पैर फिसल जाने के कारण नदी में गिर गई। इसी दौरान जम्बावती ने एक हाथ से अपनी छोटी बहन को और दूसरे हाथ से झाड़ियों को पकड़े रखा। फलस्वरूप दोनों बहनों को आसपास के लोगों ने नदी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया।

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