भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय प्रदर्शन में लगातार सुधार को देखने के बाद आईडीबीआई बैंक को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) के दायरे से बाहर कर दिया है. वित्तीय प्रदर्शन में लगातार गिरावट और एनएपी में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी के बाद 2017 में आईडीबीआई बैंक को पीसीए फ्रेमवर्क के तहत रखा गया था. उस वक्त बैंक का नेट एनपीए 13 फीसदी तक पहुंच गया था.
पीसीए का मतलब यह होता है कि बैंक आरबीआई की कड़ी निगरानी में होगा. इसके मुताबिक बैंक को अपने कामकाज में तुरंत सुधार लाना होता है. साथ ही बैंक को नए कर्ज देने की इजाजत भी नहीं होती है. हालांकि आरबीआई ने कहा है कि बैंक को कुछ शर्तों को पूरा करने पर ही PCA के दायरे से बाहर किया गया है. लेकिन ये शर्तें क्या हैं यह नहीं बताया गया.
आईडीबीआई बैंक को लगातार चौथी तिमाही में मुनाफा हुआ है. दिसंबर, 2020 तिमाही में आईडीबीआई को लगातार 13 महीने के घाटे के बाद फायदा हुआ है. आईडीबीआई के सीईओ राकेश शर्मा ने उम्मीद जाहिर की है बैंक के लगातार मुनाफे कमाने के बाद आरबीआई की कड़ी निगरानी के दायरे से बाहर निकल आएगा. मौजूदा वित्त वर्ष में बैंक को अपने एसेट पर पॉजीटिव रिटर्न हासिल हुआ है. शर्मा ने कहा कि आरबीआई के सभी इंडिकेटर्स में बैंक ऊपर है. आगे बैंक की वित्तीय स्थिति में और सुधार होगा. एलआईसी ने आईडीबीआई को खरीद लिया था.
पिछले बुधवार को आईडीबीआई की शेयर 38.25 रुपये पर था. इस दिन इसने यस बैंक के 41,127 करोड़ रुपये के मार्केट कैपिटलाइजेशन को भी पार कर लिया. अब सिर्फ तीन सरकारी बैंक- भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ही आईडीबीआई से बड़े हैं.