पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम ने सरकार की चिंता काफी बढ़ा दी है. सरकार अब किसी भी तरह से इनकी कीमतों पर नियंत्रण पाना चाहती है. पिछले दिनों भारत ने ओपेक देशों से प्रोडक्शन बढ़ाने का अनुरोध किया था. सऊदी अरब से भी महंगे तेल की शिकायत की गई थी. लेकिन सऊदी अरब ने कहा था कि भारत सस्ती कीमत पर खरीदे गए तेल के रिजर्व से काम चला सकता है. अब भारत सऊदी समेत दूसरे खाड़ी देशों से महंगा तेल मंगाने की रफ्तार धीमी करना चाहता है. इसके बजाय वह अमेरिका, कनाडा, पश्चिमी अफ्रीकी देशों और गुयाना, मेक्सिको से तेल आयात कर सकता है.
भारत के इन देशों से तेल आयात करने के दो फायदे हैं. एक तो इससे भारत को सस्ता तेल मिलेगा और दूसरे ओपेक देशों पर तेल के लिए निर्भरता भी कम होगी. भारत ने मैक्सिको से भी भारी मात्रा में तेल मंगाने की शुरुआत कर दी है. भारत अपनी जरूरत का 86 फीसदी तेल ओपेक देशों से आयात करता है. इसमें से 19 फीसदी हिस्सेदारी सऊदी से मंगाए जाने वाले तेल की है. अब भारत अपनी रणनीति के तहत सऊदी से कच्चा तेल मंगाना कम कर सकता है. जनवरी महीने में सऊदी अरब से जितना कच्चा तेल मंगाया गया वह पहले की तुलना में मंगाए गए तेल से 30 फीसदी कम था.
ओपेक देशों में दुनिया के कुछ देशों से तेल मंगाना भारत को सस्ता पड़ सकता है. पिछले दिनों भारत ने सऊदी अरब से तेल उत्पादन में बढ़ोतरी की मांग की थी लेकिन सऊदी इसके लिए राजी नहीं हुआ. भारत में महंगे तेल के सवाल पर सऊदी का कहना था कि वह पिछले दिनों सस्ते में खरीदे गए तेल से काम चलाए. सऊदी अरब की ओर से तेल उत्पादन न बढ़ाने से कच्चे तेल के दाम में उछाल आया है. इस बीच विश्लेषकों ने कहा है कि अमेरिका में कच्चा तेल सस्ता हो गया है. इसके अलावा मैक्सिको और गुयाना के मार्केट में भी तेल की कीमतें घटी हैं. भारत यहां से खरीदारी कर सकता है. इससे देश में पेट्रोल-डीजल की महंगाई पर कुछ हद तक अंकुश लग सकता है.