पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस की सीनियर नेता करुण शुक्ला का निधन हो गया है। कोरोना संक्रमण से जूझ रहीं करुणा शुक्ला ने मंगलवार तड़के अंतिम सांस ली। 70 वर्षीया करुणा शुक्ला दो बार बीजेपी से सांसद रह चुकी थीं। इसके बाद 2013 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। बीजेपी की ओर से विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट न दिए जाने के बाद करुणा शुक्ला ने कांग्रेस का दामन थामा था। इसके बाद 2018 में करुणा शुक्ला ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ राजनंदगांव से पर्चा भरा था, लेकिन वह मुकाबले में हार गई थीं। भले ही करुणा शुक्ला कांग्रेस में शामिल हो गई थीं, लेकिन उनकी पहचान पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के चलते ही थी। करुणा शुक्ला लंबे अरसे तक बीजेपी में रही थीं।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला का जन्म एक अगस्त 1950 को ग्वालियर में हुआ था। साल 1983 में पहली बार बीजेपी से विधायक चुनी गयीं। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर कांग्रेस के चरणदास महंत के खिलाफ किस्मत आजमाई लेकिन सफल नहीं हुई। दिवंगत करुणा शुक्ला का अंतिम संस्कार मंगलवार को बलौदाबाजार में होगा। लोकसभा सांसद रहीं करुणा शुक्ला वर्ममान में छत्तीसगढ़ में समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष थीं। करुणा जबर्दस्त वक्ता थीं। उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा में उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार भी मिला था। करुणा 2003 में भाजपा के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल थी। भतीजी होने के बाद भी अटल जी ने करुणा की जगह डॉ. रमन सिंह को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया।
करुणा शुक्ला के निधन पर सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट कर दुख जताया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा कि करुणा शुक्ला से उनके पारिवारिक संबंध थे। बघेल के अलावा कई अन्य दिग्गज कांग्रेसियों ने भी करुणा शुक्ला के निधन पर शोक व्यक्त किया है। इसके अलावा 2018 में करुणा शुक्ला के मुकाबले उतरने वाले रमन सिंह ने भी पूर्व प्रतिद्वंद्वी के निधन पर दुख जताया है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भी करुणा शुक्ला के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
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