पूरा देश 75वां स्वतंत्रता दिवस को मनाने की तयारी में जुटा हुआ है. पश्चिम बंगाल में दक्षिण कोलकाता करखानो में युद्ध स्तर पर काम हो रहा है. यहां तिरंगा सिलकर उसपे अशोक चक्र की छाप देकर उसे राष्ट्रीय ध्वज बनाया जा रहा है. जानिए भारत का राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगा’ कैसे दो मिनट में बनकर तैयार हो जाता है.
दक्षिण कोलकाता में झंडा बनाने वाली फैक्ट्रियों की विशेषता यह है कि यहां पश्चिमी राज्यों अहमदाबाद, गुजरात, महाराष्ट्र के विपरीत हस्तशिल्प का प्रयोग ज्यादा होता है, जो झंडों को छापने के लिए स्वचालित मशीनों का उपयोग करते हैं.
संबंधित क्रम में एक साथ सिलाई करके झंडे बनाए जाते हैं
तिरंगा बनाने के लिए कपड़े के तीन टुकड़ों को संबंधित क्रम में एक साथ सिलाई करके झंडे बनाए जाते हैं. 4 फुट का झंडा बनाने में करीब 4 मिनट और 2 फुट ऊंचे झंडे को बनाने में करीब 2 मिनट का समय लगता है. अशोक चक्र की छपाई में ज्यादा समय नहीं लगता है और यह 10 से 15 सेकेंड के भीतर तैयार हो जाता है. हालांकि इसमें रसायनों और रंगों के मिश्रण में काफी समय लगता है.
अशोक चक्र के लिए नीले रंग की सही छाया प्राप्त करने के लिए कई रंगों को एक साथ मिलाया जाता है. फैक्ट्री के एक फ्लैग-मेकर ने कहा, “नीले, नीले, मध्यम, लाल रंग के होते हैं और फिर हमें इसमें तेल मिलाना होता है.”
लाल रंग को नीले रंग के अन्य रंगों के साथ भी मिलाया जाता है
तेल को रंगों के मिश्रण में डाला जाता है ताकि यह ऑइल पेंट की तरह हो जाए और रंग बारिश और नमी को बनाए रखता है. हालांकि, लाल रंग को नीले रंग के अन्य रंगों के साथ भी मिलाया जाता है ताकि अशोक चक्र का रंग एकदम सही निकले. पूरी प्रक्रिया में प्लास्टिक का उपयोग नहीं होता है और झंडा बनाने की पूरी प्रक्रिया मैन्युअल रूप से की जाती है.
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