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पशुपालकों से गौमूत्र खरीदने में राज्य में जिला प्रथम स्थान पर बरकरार

० समूह की महिलाएं बना रही हैं गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र एवं जीवामृत

जांजगीर-चांपा। जिले की पॉंच जनपद पंचायत की पॉंच गोठानों में नियमित रूप से गौमूत्र की खरीदी की जा रही है, जिससे प्रदेश के अन्य जिले के मुकाबले में जिला जांजगीर-चांपा अव्वल अनवरत रूप से बना हुआ है। जिले में अब तक 11 हजार 624 लीटर गौमूत्र को पशुपालकों से खरीदा गया। जिले में गौमूत्र की बढ़ती मांग के साथ ही इसका उत्पादन एवं विक्रय भी किया जा रहा है।

जिला में गोधन न्याय योजना का सुचारू रूप से संचालन कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा एवं जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ ज्योति पटेल के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। जिले में अब तक 11 हजार 624 लीटर गौमूत्र की खरीदी की गई है। जिसमें अकलतरा जनपद पंचायत की तिलई गौठान में 4 हजार 915 लीटर एवं नवागढ की खोखरा में 5 हजार 717 लीटर गौमूत्र की खरीदी हुई है। पामगढ़ जनपद पंचायत की लोहर्सी में 170 लीटर, बम्हनीडीह जनपद पंचायत की बंसुला गोठान में 600 लीटर गौमूत्र खरीदी की गई। बलौदा जनपद पंचायत की जर्वे च में 222 लीटर गौमूत्र खरीदा गया।

जैविक खेती को दिया जा रहा बढ़ावा
कृषि विभाग डीडीए एम.डी.मानकर ने बताया कि गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र एवं जीवामृत बनाने की विधि की तकनीकी रूप से समूह को जानकारी सतत रूप से दी जा रही है, जिससे समूह की महिलाएं बेहतर उत्पादन कर सकें। उन्होंने बताया कि जिले में गौमूत्र की खरीदी के बाद उसे समूह की महिलाओं द्वारा ब्रम्हास्त्र एवं जीवामृत तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे किसान अपने खेतों, बाड़ी में छिड़काव करते हुए जैविक खेती को बढ़ा रहे हैं।


तिलई में बनाया 50 लीटर बनाया गया ब्रम्हास्त्र
तिलई गोठान में गुरूवार को समूह की महिलाओं द्वारा अनुविभागीय कृषि अधिकारी पामगढ़ श्री पंकज पटेल, कृषि विकास अधिकारी जेपी बघेल, आरएईओ मीनाकुमार रात्रे के द्वारा समूह द्वारा बनाए जा रहे ब्रम्हास्त्र का निरीक्षण करते हुए किस तरह से बेहतर तरीके से ब्रम्हास्त्र का निर्माण किया जा सकता है इसका मार्गदशर्न दिया। साथ ही उपस्थित ग्रामीणों को ब्रम्हास्त्र यानी कीट नियंत्रक उत्पाद के उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण में ब्रम्हास्त्र का उपयोग किया जा सकता है। यह तना छेदक जैसे अधिक हानि पहुंचाने वाले कीटों के प्रति लाभकारी है। वहीं जीवामृत उत्पाद जो मिट्टी में सूक्ष्म जीवों तथा पत्ते पर छिड़के जाने पर सूक्ष्म जीवों की गतिविधि को बढ़ाता है। एक लीटर गौमूत्र 4 रूपए की दर से गौपालकों से खरीदा जा रहा है। गौमूत्र से ब्रम्हास्त्र बनाकर 50 रूपए लीटर एवं जीवामृत 40 रूपए लीटर की दर से समूहों के द्वारा विक्रय किया जा रहा है।

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