रवि भोई की कलम से
कहते हैं आईएएस और राज्य सेवा अफसरों की पोस्टिंग से भाजपा में खलबली मच गई है। विष्णुदेव साय सरकार में अफसरों की पोस्टिंग में किसकी चली, इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है। चर्चा है कि आईएएस अफसरों की पोस्टिंग में साय सरकार के एक मंत्री और मुख्यमंत्री सचिवालय के एक अफसर की खूब चली। कहा जा रहा है कि दोनों ने न भाजपा नेताओं की सिफारिश सुनी और न ही संघ की पसंद और नापसंद का ध्यान रखा। मंत्रियों से भी राय-मशविरा नहीं की। पोस्टिंग लिस्ट बनाने वाले ने अपने गृह राज्य और स्वजातीय लोगों का खास ख्याल रखा है। इलाके और संवर्ग का फायदा भी अफसरों को मिला है। साय सरकार में 88 आईएएस अफसरों की पहली पोस्टिंग में कइयों को झटका लगा है, तो कइयों के पंख भी लगे हैं। कुछ का भला भी हुआ है। अफसरों की पहली पोस्टिंग में विषमता और असंतुलन भाजपा नेताओं को चुभ रहा है। पहली पोस्टिंग में भाजपा के टारगेट में कुछ अफसरों को लूप लाइन में पटका जरूर है, लेकिन कई अफसरों को मलाईदार पद भी मिल गया है। चुनाव आयोग के निशाने पर आए तारण सिन्हा को नए आर्डर में लूप लाइन में भेज दिया गया है, जबकि संजीव कुमार झा को समग्र शिक्षा का संचालक बना दिया गया है। खबर है कि समग्र शिक्षा के लिए भारत सरकार से खूब फंड मिलता है। भाजपा नेता महेश गागड़ा के निशाने पर रहे आईएएस राजेंद्र कुमार कटारा को बीजापुर के कलेक्टर पद से हटा तो दिया गया, लेकिन एस सी ई आर टी का प्रमुख बना दिया गया, उन्हें रायपुर कलेक्टर रहे भूरे सर्वेश्वर नरेंद्र और दुर्ग कलेक्टर रहे पुष्पेंद्र कुमार मीणा की तरह दरकिनार नहीं किया गया। नारायणपुर कलेक्टर रहते भाजपा के जिला अध्यक्ष के प्रति बेरहमी दिखाने वाले अजीत वसंत का कद बढ़ना भी भाजपा के कुछ नेताओं को साल रहा है। नए आर्डर में अजीत वसंत को कोरबा का कलेक्टर बनाया गया है। महतारी वंदन योजना का फार्म बंटवाने पर भाजपा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने और एक भाजपा कार्यकर्ता को दफा 151 के तहत गिरफ्तार करवाने वाले बलौदाबाजार-भाटापारा कलेक्टर चंदन कुमार का बालबांका न होने पर भाजपा नेताओं ने सिर पकड़ लिया है।
जांजगीर-चांपा जिले की तीनों विधानसभा सीट में कांग्रेस की जीत के बाद भी वहां कलेक्टर रही ऋचा प्रकाश चौधरी को दुर्ग की कलेक्टर बनाए जाने पर भाजपा नेताओं ने दांतों तले अंगुली दबा लिया है। सक्ती जिले की तीनों सीटों में भाजपा की हार के बाद भी वहां की कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना के प्रति मेहरबानी भाजपा नेताओं को समझ नहीं आ रहा है। शम्मी आबिदी को महिला एवं बाल विकास विभाग का सचिव बनाए जाने पर भी भाजपा के नेताओं को बड़ा आश्चर्य हो रहा है। आईएएस मोहम्मद कैसर अब्दुल हक़ और डॉ तम्बोली अय्याज फकीर भाई की नई पोस्टिंग भी भाजपा नेताओं को रास नहीं आ रहा है। साय सरकार ने धार्मिक धर्मस्व विभाग को काफी महत्व दिया है। इस विभाग में अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू की पोस्टिंग के साथ पी अंबलगन को सचिव बनाए रखा है।गृह विभाग में अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ के बाद लाइन खाली हो गया है, जबकि गृह महत्वपूर्ण विभाग है। शहला निगार को कृषि उत्पादन आयुक्त बनाए जाने को कृषि मंत्री रामविचार नेताम पर नकेल कसने के रूप में देखा जा रहा है।कृषि संचालक भी महिला आईएएस चंदन त्रिपाठी हैं। टीएस सिंहदेव की करीबी रहीं, फिर भूपेश बघेल की सरकार में उपेक्षित निहारिका बारीक सिंह को साय सरकार में इनाम मिल गया, उन्हें बड़ा और महत्वपूर्ण पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सौंपा गया है। पिछली सरकार में दरकिनार आर. शंगीता को आबकारी के साथ आवास और पर्यावरण विभाग के साथ पर्यावरण मंडल की अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी मिल गई है, पर सरकार ने अभी तक किसी को आबकारी आयुक्त नियुक्त नहीं किया है, जबकि आबकारी विभाग में आयुक्त का रोल ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। प्रतिनियुक्ति से वापसी के बाद लंबे समय तक प्रमुख सचिव के मातहत अफसर बने रहे बसवराजू एस के भी बल्ले-बल्ले हो गए। खाद्य और नगरीय प्रशासन जैसा महत्वपूर्ण विभाग देकर उनका अच्छा पुनर्वास कर दिया गया है। आर्डर में कई विभागाध्यक्ष अछूते रह गए तो हेरफेर में कई पद खाली रह गए हैं। पद भरने और नए विभागाध्यक्ष का इंतजार है।
मंत्री जी की मैराथन बैठक से अफसर परेशान
चर्चा है कि पिछले दिनों राज्य के एक मंत्री जी ने मंत्रालय के एक कांफ्रेंस हाल में अपने विभाग के अफसरों की मैराथन बैठक ली। मंत्री जी मलमास के चलते मंत्रालय के अपने कक्ष में अब तक प्रवेश नहीं किया है। कहते हैं मंत्री जी को किसी ज्योतिष ने कह दिया है कि मलमास में कक्ष में प्रवेश करना शुभ नहीं होगा। मंत्री जी के पास बड़े -छोटे कई विभाग हैं। समीक्षा बैठक करते -करते सुबह के पांच -साढ़े पांच बज गए। बताते हैं मंत्री जी ने बैठक के लिए विभाग के अफसरों को दोपहर से ही बुला लिया था। मंत्री जी को रत जगा की आदत है, पर रात भर चली बैठक से अफसर परेशान हो गए। कहा जा रहा है कि अफसर रात-रात भर चलने वाली बैठक से निजात पाना चाहते हैं। इसके लिए वे मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी पीड़ा व्यक्त करना चाहते हैं। कुछ अफसर मंत्री जी के विभाग से अपने ट्रांसफर की जुगाड़ में लग गए हैं।
पूरे घर के बल्ब बदल गए
असरानी के घर का एक बल्ब फ्यूज हो जाता है तो वे बल्ब खरीदने निकल पड़ते हैं। दुकानदार उनको बल्ब-ट्यूब बनाने वाली पॉपुलर ब्रांड और कंपनी के बल्बों के टिकाऊपन के बारे में बताता है, तो जोश में आकर वह बोल उठते हैं ‘पूरे घर के बदल डालूंगा!’ असरानी के विज्ञापन पूरे घर का बदल डालूंगा की तर्ज पर राज्य में स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर बदल दिए गए। प्रमुख सचिव रहे आलोक शुक्ला पहले ही इस्तीफा देकर चले गए थे। तीन जनवरी को जारी आईएएस अफसरों के तबादला आदेश में सचिव, संचालक और प्रबंध संचालक सभी बदल दिए गए। पिछली सरकार में स्कूल शिक्षा विभाग काफी चर्चित रहा। शिक्षकों की भर्ती और पोस्टिंग को लेकर बड़ा बवाल मचा था। पूरे घर के बदलने के बाद नई सरकार में विभाग कितना पाक -साफ़ हो सकता है, इसका सबको इंतजार है।
फिर लार टपकने लगा
2003 से 2018 तक आबकारी विभाग का माई -बाप बने एक संविदा अफसर का राज्य में भाजपा की सरकार सत्ता में आते ही लार टपकने लगा है। कांग्रेस राज में धक्के खाने और जांच में उलझे संविदा अफसर पुनर्नियुक्ति के लिए कुशाभाऊ ठाकरे परिसर ,जागृति मंडल, राममंदिर,पहुना, मौलश्री विहार से दिल्ली दरबार तक जुगाड़ फिट करने में जुट गए हैं। पिछली सरकार में संविदा अफसर की तूती बोलती थी। कांग्रेस राज में संविदा अफसर की जगह त्रिपाठी महाशय ने ले ली थी, जो जेल की सलाखों के पीछे हैं। संविदा अफसर भी काफी दागदार हो चुके हैं। अब देखने वाली बात है कि भाजपा सरकार कोयले को छूकर हाथ गंदा करना चाहती है या पाक-साफ रहना चाहती है।
विधायक जी की बकरा पार्टी
कहते हैं दुर्ग जिले के एक नए-नवेले विधायक जी ने अपनी जीत की ख़ुशी में पिछले दिनों एक फार्म हाउस में बकरा पार्टी आयोजित की। इस पार्टी में अपने खास समर्थकों के साथ अपने इलाके के पीडब्ल्यूडी के अफसरों को भी न्योता था। पार्टी के बाद विधायक जी ने पीडब्ल्यूडी के अफसरों से अपने महीने की चर्चा छेड़ी और भारी-भरकम मांग रख दी। चर्चा है कि विधायक जी की मांग सुनकर पीडब्ल्यूडी के अफसरों के पैर के नीचे की जमीन ही खिसक गई। कुछ तो उलटे पांव भागे, कुछ विधायक जी को समझाने में लगे।
रंग बदलने वाले कारोबारी
कहते हैं राजधानी के एक कारोबारी गिरगिट की तरह रंग बदल रहे हैं। 2018 के पहले तक भाजपा और कई खेल संघों से जुड़े कारोबारी कांग्रेस की सरकार आते ही पाला बदल लिया था। अब भाजपा की सरकार आई तो फिर मुख्यमंत्री,मंत्री और विधायकों के पास गुलदस्ता लेकर पहुंच गए। कोरोना काल में खूब चांदी काटने वाले कारोबारी पिछली सरकार में ताकतवर एक व्यक्ति की पूंछ पकड़ ली थी। कारोबारी के करतूत से जनता सड़क पर उतर आई थी ,जिसके बाद पिछली सरकार को कारोबारी से दूरी बनानी पड़ी थी। अब भाजपा सरकार में ठौर की तलाश में हैं।
मनहूस बंगला
राजधानी के सिविल लाइन में एक बंगला है, जिसे इस बार कोई भी मंत्री लेना नहीं चाहता था। बंगला बड़ा और प्राइम लोकेशन में है, लेकिन इसके साथ हार का किस्सा जुड़ गया है। इस बंगले में जो भी मंत्री अब तक रहा है, वह जीतकर दोबारा नहीं आया है या फिर मंत्री नहीं बन पाया है। इस कारण साय सरकार का कोई भी मंत्री उस बंगले में नहीं जाना चाहते थे। बंगला बड़ा और अच्छा होने के कारण किसी न किसी मंत्री को तो देना ही था। यह बंगला अब पहली बार विधायक और मंत्री बने नेता के हिस्से में आया है। अब अगली बार नेता जी का भविष्य पता चलेगा।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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