भोपाल। भारतीय जतना पार्टी से राज्यसभा सांसद माया नारोलिया की संसद सदस्यता खतरे में पड़ने वाली है। दरअसल, फरवरी 2024 में नर्मदापुरम निवासी माया नारोलिया को राज्यसभा सांसद के रूप में सदस्य निर्वाचित किया गया था। इस दौरान माया नरोलिया ने शपथ-पत्र प्रस्तुत किया, जिसकी सत्यता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी नर्मदापुरम के आरटीआई विंग जिला अध्यक्ष सीताशरण पांडे ने कई अधिकारियों को शिकायत की थी, लेकिन किसी के द्वारा भी सत्यता को जानने की कोशिश न करने पर उन्होंने मामले को हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश निर्वाचन पदाधिकारी को 6 हफ्तों में मामले की सत्यता को लेकर जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
दरअसल, शिकायतकर्ता सीताशरण पांडे ने याचिका में बताया है कि माया नरोलिया द्वारा हाउसिंग बोर्ड में जिस स्थान पर अपना भवन होना बताया है और शपथ-पत्र में इस भवन की कीमत 2 करोड़ 26 लाख 30000 रुपए बताई गई है, जबकि यह भवन जिस भूमि पर बना हुआ है वह भूमि स्वर्ण कुमारी पति बीके मूर्ति के नाम पर दर्ज है। यह भूमि बाढ़ के दौरान बाढ़ पीड़ित के नाम से आवंटित थी। इस आवंटन पत्र में स्पष्ट लिखा था कि यह भूमि आहस्तांतरित है यानी इसको किसी के नाम पर नहीं किया जा सकता और इसे बेचा भी नहीं जा सकता। लेकिन माया नरोलिया ने इस भूमि को बिक्री पत्र के माध्यम से अपने नाम पर करा लिया। सरकारी स्तर पर इस भूमि की रजिस्ट्री नहीं हुई है और न ही राजस्व विभाग द्वारा इसका नामांतरण किया गया है।
इसके बाद नगर पालिका से इस बिक्री पत्र पर नामांतरण करा लिया गया है, जबकि किसी भी भूमि का नामांतरण राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है। जब यह भूमि का प्रकरण नामांतरण के लिए नगर पालिका परिषद पहुंचा तो वहां भी इसके नामांतरण को लेकर आपत्ति लगाई गई।नामांतरण शाखा से जारी पत्र की टीप में स्पष्ट लिखा गया है कि यह भूमि हस्तांतरित नहीं हो सकती है लेकिन इसका नामांतरण नगर पालिका अध्यक्ष के निर्देश पर किया जा रहा है।
शिकायतकर्ता पांडे ने बताया कि जिस समय माया नारोलिया नगर पालिका अध्यक्ष थी, उस दौरान इस भूमि का नामांतरण दबाव वश कर दिया गया। जबकि इस भूमि को किसी के नाम पर नामांतरण करने का सवाल ही नहीं था। इस प्रकार माया नरोलिया ने अपने निर्वाचन शपथ-पत्र में झूठी जानकारी प्रस्तुत की जो की वैधानिक नहीं है। माया नरोलिया ने अपने ऊपर दर्ज प्रकरण व शास्ती अधिरोपित की जानकारी भी नहीं दी थी। वहीं, याचिकाकर्ता सीताशरण पांडे का कहना है कि नगर पालिका अध्यक्ष के रूप में माया नारोलिया जब पदस्थ थी, तब उनके ऊपर एवं तत्कालीन सीएमओ के ऊपर आर्थिक गड़बड़ी को लेकर जुर्माना किया गया था। हालांकि उनके द्वारा जुर्माना की राशि अदा नहीं की गई। प्रकरण अभी भी प्रचलन में है।
इसी तरह नर्मदापुरम जिला न्यायालय में एक प्रकरण भी दर्ज है। इस प्रकरण को लेकर तथा जुर्माने की राशि को लेकर भी शपथ पत्र में कोई उल्लेख नहीं किया गया। राज्यसभा सदस्य की सदस्यता ग्रहण करने वाली माया नारोलिया द्वारा जो शपथ पत्र दिया गया है वह वास्तविकता से परे है। इसकी निष्पक्ष रूप से जांच होना चाहिए था। लेकिन मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित अन्य को इस मामले से अवगत कराया गया था लेकिन उनके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर हाई कोर्ट में प्रकरण दायर करने के लिए बाध्य होना पड़ा। आय से अधिक संपत्ति का मामला भी विचाराधीन है।।
…तो नगर पालिका अध्यक्ष सहित कई अधिकारियों की भ्रष्ट कार्य शैली उजागर हो जाती
इन सभी मामलों को लेकर सीताशरण पांडे ने जाच की मांग की है। उन्होंने संपत्ति की जांच को लेकर कार्रवाई किए जाने संबंधी अधिकारियों को प्रमाण के सहित अवगत कराया है लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के कारण अधिकारी गण भी माया नारोलिया की चल अचल संपत्ति की जांच करने से कतरा रहे हैं। सूत्रों से पता चला है कि उनके नगर पालिका अध्यक्ष के कार्यकाल में कई योजनाओं में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ था। नगर के घरों पर पहुंचने वाली नर्मदा जल योजना तथा योजना के अंतर्गत निर्माण अधीन टंकियां के निर्माण कार्य को लेकर व्यापक भ्रष्टाचार हुआ था। निर्माण कार्य इतना घटिया हुआ था कि यदि ईमानदारी से उसकी जांच हो जाती तो नगर पालिका अध्यक्ष सहित कई अधिकारियों की भ्रष्ट कार्य शैली उजागर हो जाती।