तांत्रिक, अघोरियों और उपासक के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाने वाली गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी 2024 से शुरू हो रही है. इसका समापन 18 फरवरी को होगी. इस नवरात्रि में गुप्त रूप से पूजा कर अघोरी तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्त करते हैं. वहीं गृहस्थ जीवन वालों को इस दौरान देवी दुर्गा की सामान्य रूप से पूजा करनी चाहिए. मान्यता है कि इससे समस्त संकटों का नाश होता है.
राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर, मां भुनेश्वरी, मां छिन्नमस्तिके, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला यह 10 महाविद्या प्रकट हुईं थी.
पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि गुप्त नवरात्रि नाम से स्पष्ट है कि इसे गुप्त रूप से इसको मनाया जाता है. हमारे शास्त्रों के अनुसार वर्ष में 4 नवरात्रि मनायी जाती है. जिसमें से दो नवरात्रि को उदित नवरात्रि कही जाती है. जिसमें हर मंदिरों में ज्योति कलश प्रज्वलित करके 9 दिन पर्यंत देवी आराधना का पर्व मनाई जाती है, इसे उदिय नवरात्रि कहा जाता हैं. दो गुप्त नवरात्रि के रूप से तंत्र साधना के साथ मनाई जाती है. इसमें स्वयं के लिए साधक साधना करते हैं. राजधानी रायपुर स्थित महामाया देवी मंदिर जो प्राचीन सिद्ध और तंत्रपीठ है.
यहां बड़े-बड़े साधक, उपासक लोकतांत्रिक लोग आकर साधना किया करते थे. इसलिए आज भी दीर्घकाल से यहां पर यज्ञ आदि का आयोजन मंदिर ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है. गुप्त नवरात्रि पर्व माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होकर नवमी तक रहती है और एक गुप्त नवरात्रि आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि पर्यंत तक होती है. दोनों में ध्यान रखने वाली खास बात यह है कि आषाढ महीने वाले नवरात्रि के दूसरे दिन रथयात्रा पड़ती है और माघ महीने वाले नवरात्रि में पांचवें दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है.