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क्या आप जानते हैं दीये को फूंक मारकर क्यों नहीं बुझाया जाता ?

हिन्दू धर्म में दीया जलाना बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। दीया जलाने से न सिर्फ घर की नकारात्मकता दूर होती है बल्कि पूजा-पाठ में भी इसका विशेष स्थान है।

माना जाता है कि दीया जलाने से भगवान तक हमारी प्रार्थना जल्दी पहुंच जाती है और भगवान हमारी सहायता के लिए स्वयं आते हैं और घर में निवास करते हैं। यही कारण है कि पूजा के दौरान दीया जलाने के लिए शास्त्रों में कहा गया है।

वहीं, दीया से जुड़ी एक और बात शास्त्रों में कही गई है कि दीया कभी भी फूंक मारकर नहीं बुझाना चाहिए। ऐसा करने से बहुत ही विपदाएं घर पर और घर के सदस्यों पर आ जाती हैं। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस बारे में।

दीये को फूंक मारकर बुझाने से क्या होता है?

शास्त्रों के अनुसार, पूजा के दौरान दीया जलाने का विधान है। दीया देवी-देवताओं के आवाहन के लिए जलाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, दीये की लौ में जो अग्नि जलती है उसे सर्वाधिक पवित्र माना जाता है।

ऐसे में जब हम मुंह से फूंक मारकर दीया बुझाते हैं तो यह इस बात का प्रतीक बन जाता है कि हम हमारे घर में देवी-देवताओं का प्रवेश नहीं चाहते हैं। मुंह से दीया बुझाना भगवान के आगमन को बाधित करना है।

पूजा के दीये को बुझाना अग्नि देव को क्रोधित और नाराज़ करता है। वास्तु शास्त्र में अग्नीय कोण के बारे में बताया गया है जो अग्नि देव का स्थान माना जाता है। ऐसे में उस स्थान से परेशानियां आनी शुरू हो जाती हैं।

सिर्फ दीया ही नहीं दीया जिस माचिस से जलाया हो उसे भी फूंक मारकर नहीं बुझाना चाहिए बल्कि उस तिल्ली को जमीन पर रगड़कर बुझाना उचित माना गया है। फूंक मारकर अग्नि बुझाना अग्नि देव का अपमान है।

इसी कारण से शास्त्रों में पूजा के दीये को फूंक मारकर बुझाने की सख्त मनाही है। शास्त्रों में ऐसा भी बताया गया है कि फूंक मारकर दीया बुझाने से मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं और घर में दरिद्रता का आगमन होता है।

 

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