रवि भोई की कलम से
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने 1992 बैच के आईपीएस अरुणदेव गौतम को प्रभारी डीजीपी बना दिया। अरुणदेव गौतम डीजीपी की दौड़ में छह महीने से थे। अब सवाल पूर्णकालिक डीजीपी का है। पूर्णकालिक डीजीपी की दौड़ में अरुणदेव गौतम के अलावा 1992 बैच के ही आईपीएस पवनदेव और 1994 बैच के जीपी सिंह व हिमांशु गुप्ता हैं। यूपीएससी की हरी झंडी के बाद पूर्णकालिक डीजीपी का नाम तय होगा। कहते हैं सरकार ने अशोक जुनेजा की सेवावृद्धि का इंतजार चार फरवरी की दोपहर तक किया। दोपहर तक दिल्ली से कोई सूचना नहीं आने पर अरुणदेव गौतम को प्रभारी डीजीपी बना दिया गया। बताते हैं गौतम साहब को प्रभारी डीजीपी बनाने का फैसला मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ही लिया। चर्चा है कि गृहमंत्री विजय शर्मा जीपी सिंह को प्रभारी डीजीपी बनाने के पक्ष में थे, तो अशोक जुनेजा की पसंद एडीजी प्रदीप गुप्ता थे। गौतम साहब की साफ़-सुथरी छवि और वरिष्ठता काम कर गई। बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में पहली बार देखने को मिला कि विदा होते डीजीपी जाते-जाते वर्दी में नजर नहीं आए और न ही डीजीपी की कुर्सी संभालने वाले। दोनों फार्मल ड्रेस में ही दिखे। चर्चा तो यह भी है कि चार्ज लेते -देते समय न जाने वाले डीजीपी ने गर्मजोशी दिखाई और न ही आने वाले ने। गुलदस्ते का आदान-प्रदान हो गया। अशोक जुनेजा की विदाई पार्टी में अरुणदेव गौतम,पवनदेव, जीपी सिंह और हिमांशु गुप्ता की अनुपस्थिति भी चर्चा का विषय है। प्रभारी डीजीपी अरुणदेव गौतम का चार्ज संभालने के दो दिन बाद मुख्यमंत्री से मुलाक़ात भी लोगों की जुबान पर है। श्री गौतम ने चार फरवरी को डीजीपी का काम संभाला और वे मुख्यमंत्री से छह फरवरी को मिले।
पांच नगर निगम में भाजपा-कांग्रेस में कांटे की टक्कर
छत्तीसगढ़ में नगर निगम चुनाव के लिए 11 फ़रवरी को मतदान होने हैं। अभी प्रचार शबाब पर है। कांग्रेस और भाजपा के साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी पूरी ताकत झोंकते दिख रहे हैं। नगर निगम के मेयर चुनाव को लेकर रोचक मुकाबला दिखाई पड़ रहा है। दस नगर निगमों में पांच में कांग्रेस और भाजपा में कांटे का टक्कर बताया जा रहा है। लोग पांच नगर निगम में भाजपा का पलड़ा भारी बता रहे हैं। धमतरी में भाजपा की जीत सबसे आसान मानी जा रही है। धमतरी नगर निगम में कांग्रेस का मेयर कैंडिडेट ही मैदान में नहीं है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी का नामांकन परचा रद्द होने से भाजपा के लिए राह आसान हो गया। बताते हैं मेयर के चुनाव में पार्टी के साथ प्रत्याशी का चेहरा और व्यवहार भी महत्वपूर्ण हो गया है। वैसे स्थानीय निकाय चुनाव में जिसकी सरकार होती है, उसको लाभ मिलता है। मेयर चुनाव में रायपुर संभाग में भाजपा के पक्ष में माहौल बताया जा रहा है। दुर्ग संभाग में एक सीट के फंसने की खबर है। बिलासपुर संभाग में भी एक सीट पर मुकाबला कड़ा बताया जा रहा है। बस्तर और सरगुजा संभाग में कड़े मुकाबले की खबर आ रही है।
ऐजाज ढेबर से कांग्रेस की दूरी क्यों ?
कांग्रेस के राज में ऐजाज ढेबर पांच साल महापौर रहे। इस बार वे पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं। एक वार्ड से उनकी पत्नी भी कांग्रेस की उम्मीदवार हैं, फिर भी कांग्रेस और कुछ उम्मीदवार उनसे दूरी बनाए हुए हैं। बताते हैं स्थानीय निकाय चुनाव के लिए कांग्रेस द्वारा जारी घोषणा पत्र कार्यक्रम में ऐजाज ढेबर को नहीं बुलाया गया था। कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी दीप्ति दुबे के पोस्टर से ऐजाज ढेबर गायब बताए जाते हैं। कांग्रेस की पार्षद प्रत्याशी डॉ मोनिका जैन ने भी अपने पोस्टर में ऐजाज ढेबर का फोटो नहीं लगाया है। मोनिका जैन के पोस्टर में अन्य नेताओं के साथ युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष आकाश शर्मा का फोटो जरूर है। माना जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में रायपुर शहर और आसपास की सीटें महापौर ऐजाज ढेबर के कारण कांग्रेस हार गई। कहा जा रहा है कि इसी आशंका के कारण वर्तमान में महापौर प्रत्याशी दीप्ति दुबे और अन्य पार्षद प्रत्याशियों में ऐजाज ढेबर से दूरी बनाने में भला समझा है। खबर है कि ऐजाज ढेबर को इस बार अपने वार्ड में चुनाव जीतने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।
चिरमिरी में भाजपा का महापौर प्रत्याशी चर्चा में
कहते हैं भाजपा ने 2019 के नगरीय निकाय चुनाव में वार्ड पार्षद का चुनाव नहीं जीत पाने वाले को चिरमिरी नगर निगम के लिए मेयर का प्रत्याशी बनाया है। कहा जा रहा है कि चिरमिरी के भाजपा मेयर प्रत्याशी राम नरेश राय पिछली दफे निर्दलीय पार्षद का चुनाव लड़ा था और चुनाव हार गए थे। राम नरेश राय राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के करीबी बताए जाते हैं। पिछली बार वार्ड का चुनाव नहीं जीत पाने के बाद भी महापौर के लिए भाजपा प्रत्याशी बनने पर राम नरेश राय चर्चा में हैं। चिरमिरी में राम नरेश राय के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ विनय जायसवाल हैं। पिछली बार यहां से डॉ विनय जायसवाल की पत्नी महापौर चुनी गई थीं। तब डॉ विनय जायसवाल विधायक थे। कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में डॉ विनय जायसवाल की टिकट काट दी थी।
रायपुर में राजेश मूणत की प्रतिष्ठा दांव पर
रायपुर में भाजपा की तरफ से मीनल चौबे मेयर प्रत्याशी हैं। मीनल चौबे पिछली दफे रायपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष थीं, पर मीनल चौबे को पूर्व मंत्री और विधायक राजेश मूणत के कोटे का माना जाता है। बताते हैं राजेश मूणत महापौर की प्रत्याशी मीनल चौबे के चुनाव सह संचालक हैं। चुनाव संचालक से ज्यादा मूणत जी पर बोझ है। चर्चा है कि सांसद बृजमोहन अग्रवाल मीनल चौबे को मेयर उम्मीदवार बनाने के पक्ष में नहीं थे। वे किसी और को चाहते थे। कहते हैं राजेश मूणत के कारण मीनल को टिकट मिली। इस कारण अब मीनल को जीताने की जिम्मेदारी भी उनकी है। रायपुर में मेयर चुनाव को लेकर भाजपा की गुटीय राजनीति चरम पर बताई जाती है , ऐसे में राजेश मूणत मीनल चौबे को कैसे जीत दिला पाते हैं, यह उनके लिए बड़ी परीक्षा है।
महंत का शिगूफा या हकीकत ?
नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की बात कर कांग्रेस के तालाब में पत्थर फेंक दिया है। टीएस सिंहदेव 2023 का विधानसभा चुनाव जीत नहीं सके। अब ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और दूसरे नेता डॉ महंत की बात को क्या स्वीकार करेंगे ? टीएस सिंहदेव की मुखालफत करने वाले अमरजीत भगत को तो डॉ महंत की बात नहीं सुहाया। डॉ महंत की लाइन के खिलाफ कितने लोग चलेंगे, यह तो नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के बाद सामने आएगा। जरूर कुछ महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष के लिए टीएस सिंहदेव का नाम चला था। अब दीपक बैज की जगह टीएस सिंहदेव अध्यक्ष बन जाते हैं, तो कांग्रेस उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। कांग्रेस में जो प्रदेश अध्यक्ष रहता है, वह फिर मुख्यमंत्री का दावेदार हो जाता है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज भी विधानसभा चुनाव जीत नहीं पाए थे।
पंचायत चुनाव के बाद बदले जाएंगे कलेक्टर
कहा जा रहा है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव खत्म होने के बाद राज्य के कुछ जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे। धमतरी की कलेक्टर नम्रता गांधी भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने वाली हैं, उनकी जगह नई पोस्टिंग हो सकती है। इसके अलावा दुर्ग संभाग और बिलासपुर संभाग के एक-दो जिलों के कलेक्टरों को बदले जाने की चर्चा है। दुर्ग संभाग के एक जिले के कलेक्टर साहब इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं और रह-रहकर उनका नाम अखबारों में आ रहा है। बताते हैं सरकार ने उन्हें फील्ड पोस्टिंग से हटाने का मन बना लिया है। अब देखते हैं कितने जिले प्रभावित होते हैं।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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