Close

बसंत पंचमी के दिन बन रहे हैं कई अद्भुत योग, जानें शुभ मुहूर्त, मां सरस्वती पूजन विधि और मंत्र

बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी के दिन मनाया जाएगा। इस दिन मां सरस्वती की पूजा का विधान है। आइये जानते हैं बसंत पंचमी का शुभ योग, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और कथा के बारे में।बसंत पंचमी के दिन सुबह 10 बजकर 43 मिनट से लेकर 15 फरवरी को सुबह 7 बजे तक रवि योग बन रहा है। इसके अलावा, 13 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से 14 फरवरी को सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक रेवती नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। वहीं, सुबह 10 बजकर 43 मिनट से 15 फरवरी को सुबह 9 बजकर 26 मिनट तक अश्विनी नक्षत्र बनेगा।

सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त (Saraswati Puja Shubh Muhurat 2024)
14 फरवरी के दिन सरस्वती पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 30 मिनट से शुरू होगा और उसका समापन दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस अवधि में मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा करें। उनके मंत्रों का जाप करें और सरस्वती माता के स्तोत्र एवं चालीसा का पाठ करना न भूलें। इस दिन अपनी किताबों की भी पूजा अवश्य करनी चाहिए।

सरस्वती पूजा विधि (Saraswati Puja Vidhi 2024)
बसंत पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्नान-ध्यान के बाद नए वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा पर जल छिड़कें। मां सरस्वती को स्वच्छ पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। मां सरस्वती का श्रृंगार करें। उन्हें पीले फूल अर्पित करें। मां का ध्यान करें और मंत्रों का जाप अवश्य करें। मां सरस्वती को धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें और भोग लगाएं।

सरस्वती पूजा मंत्र (Saraswati Puja Mantra 2024)
संकल्प मंत्र
यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।

स्नान मंत्र
ॐ त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:।

ध्यान मंत्र
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता। या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता। सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं। वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।

हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्। वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।

प्रतिष्ठा मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ। एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।

बीज मंत्र
ॐ सरस्वत्ये नमः।।

 

scroll to top