चेन्नई। कर्नाटक में काम करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNC) के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार ने कन्नड़ पॉलिटिक्स को हवा देते हुए एक नया फरमान जारी किया है। राज्य में काम करने वाली MNCs को नोटिस बोर्ड पर यह जानकारी देनी होगी कि उनके यहां कितने कन्नड़ काम करते हैं। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में संस्कृति मंत्री शिवराज तंगादगी ने कहा कि ऐसा नहीं करने वाली MNC कर्नाटक में काम नहीं कर पाएंगी और उनका लाइसेंस रद्द किया जाएगा। तंगादगी ने कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देने के लिए लाए गए विधेयक पर चर्चा के दौरान यह ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए राज्य में नियम बनाए जाएंगे और इसके लिए कमिटी बनाई जा चुकी है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें टेक कंपनियों को अभी शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा,“इस बात पर विचार हुआ है कि यहां (कर्नाटक में) काम करने वाली MNC अपने यहां काम करने वाले कन्नड़ लोगों की जानकारी नोटिस बोर्ड पर दर्शाएं। हम इसके लिए नियम बनाएंगे। इसके लिए एक कमिटी बनाई गई है और मैं इसका चेयरमैन हूं। इसमें कई विभागों के सचिव हैं। वे कई सुझाव दे रहे हैं। हम MNC और बाकी कंपनियों के लिए कानूनों पर चर्चा करेंगे और फिर नियम बना देंगे।”
कोर्ट में कन्नड़ में बहस करें
तंगादगी ने कहा कि जो कंपनियां इन नियमों को नहीं मानेंगी, उनका लाइसेंस रद्द किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कन्नड़ भाषा में न्यायिक काम हो, इसके लिए भी सरकार प्रयासरत है। उन्होंने वकीलों से अपील की कि वो कोर्ट में कन्नड़ में बहस करें। साथ ही निर्णय भी कन्नड़ में हों। मंत्री ने यह भी कहा कि एक ऐप बनाया जा रहा है, जिस पर कन्नड़ भाषा का अपमान होने पर शिकायत की जा सकती है।
प्रतिष्ठानों को अपने नाम का 60% हिस्सा कन्नड़ भाषा में रखना होगा
गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा इस समय एक ऐसे विधेयक पर चर्चा कर रही है जिसके अंतर्गत कर्नाटक में प्रतिष्ठानों को अपने नाम का 60% हिस्सा कन्नड़ भाषा में रखना होगा। यह विधेयक कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने बजट पेश करते हुए सामने रखा था। यह बिल बीते दिनों हुए कुछ प्रदर्शनों के बाद आया है।