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रविवि में भारतीय ज्ञान परंपरा में दक्षता निर्माण पर कार्यशाला ,देश के विभिन्न हिस्सों से सौ विद्वान कर रहे सिरकत

० छह दिनों तक चलेगी कार्यशाला



रायपुर। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में आज भारतीय ज्ञान परंपरा में कैपेसिटी बिल्डिंग निर्माण पर कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय केभारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र एवं मालवीय मिशन टीचर टेनिंग सेंटर एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( UGC) नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में यह कार्यशाला आगामी पांच मार्च तक चलेगी। कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के संयुक्त सचिव डॉ.जितेंद्र त्रिपाठी के करकमलों से हुआ। सचिव त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली में शिक्षा द्वारा ऐसी पीढ़ी का निर्माण करना है जो सामाजिक स्तर पर योगदान करने वाला, देश निर्माण करने वाला तथा पर्यावरण के प्रति सचेत रहकर वैश्विक स्तर पर कार्य करने वाला बन सके। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव त्रिपाठी ने आगे कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को भारत की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के सभी स्तरों के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सच्चिदानंद शुक्ल ने कहा कि भारत विश्व में सांस्कृतिक विरासत, जीवन मूल्यों और समृद्ध साहित्य के कारण एक विशिष्ट स्थान रखता है। इसलिए भारतीय और स्थानीय संदर्भ और लोकाचार में दृढ़ता, सामाजिक और वैज्ञानिक आवश्यकताएं, सीखने के स्वदेशी और पारंपरिक तरीके भी जरूरी हैं। शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने से वर्तमान शिक्षा छात्रों के लिए भरोसेमंद, प्रासंगिक और प्रभावी हो गई है, जिससे युवा पीढ़ी भारत की समृद्ध संस्कृति और विरासत पर गर्व कर सकेगी।

आगामी छह दिनों तक चलने वाली कार्यशाला में चुनिंदा विद्वान प्रतिभागियों को विभिन्न विषयों पर अपने अनुभवों को विभिन्न माध्यमों से प्रस्तुत करेगें। कार्यशाला में देश के विभिन्न हिस्सों से उच्च शिक्षा से जुड़े प्राध्यापकगण, शोधार्थी हिस्सा ले रहे हैं।
पाठ्यक्रम संयोजक प्रोफेसर आर. के. ब्रम्हे ने कार्यक्रम के पहले कार्यशाला के उद्देश्य और गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। मालवीय मिशन टीचर टेनिंग सेंटर के डायरेक्टर प्रीति के. सुरेश ने स्वागत भाषण दिया एवं समस्त प्रतिभागियों का कार्यक्रम में शामिल होने पर स्वागत किया तथा भारतीय ज्ञान परम्परा के स्थापन में आयोजन की भूमिका रेखांकित किया। इस अवसर पर प्रोफेसर जी. के. देशमुख, डाॅ. बृजेन्द्र पांडेय, डाॅ. अरविंद अग्रवाल समेत बड़ी संख्या में प्राध्यापकगण उपस्थित थे।

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