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चिंतामणि महाराज का जीवन परिचय, कांग्रेस के बागी को भाजपा ने सरगुजा से दिया टिकट

  सरगुजा से चिंतामणि महाराज को टिकट दिया गया है। संस्कृत भाषा में विद्वान चिंतामणि महाराज को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था। चुनाव के वक्त में ही वो भाजपा में शामिल हुए थे। पार्टी ने उसी वक्त उन्हें वादा किया था कि लोकसभा का टिकट उन्हें दिया जायेगा। सामरी से चुनाव जीतकर विधानसभा 2018 में पहुंचे थे। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने पार्टी से बगावत कर ली थी। भाजपा ने अपना वादा निभाते हुए चिंतामणी महाराज को टिकट दिया। सरगुजा लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी के तौर पर चयनित किया है।

चिंतामणि महाराज का जन्म गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी सन् 1968 को हुआ। उनके पिता का नाम रामेश्वर है। उन्होंने 11 वीं मैट्रिक तक की पढ़ाई की जिसमें वह संस्कृत विषय के प्रति खास रूचि रखते थे। चिंतामणि महाराज की शादी 26 मई 1992 को रविकला सिंह के साथ हुई थी। उनके 2 पुत्र व तीन पुत्री है। उनका मुख्य कार्य खेती करना था। वह खुद खेती करने के साथ युवाओं को भी खेती करने के लिए प्रेरित करते थे।

उनकी सोंच थी कि यह एक कृषि प्रधान देश है जहां के 80 फीसदी लोग अपने गुजारे के लिए खेती का सहारा लेते हैं। उन्होंने बेरोजगारी दूर करने के लिए खेती को एक बेहतर माध्यम समझा और देश के सामने कृषि के क्षेत्र में बेरोजगार युवाआंे को जोड़कर एक मिशाल कायम की। वह गौ सेवा के प्रति भी विषेश रूचि रखते थे। गाय की सेवा करने का कार्य वह आज भी कर रहे हैं। चिंतामणि महाराज समाज सुधार के क्षेत्र में भी कार्य करते आ रहे हैं।

वह शादी में होने वाले व्यर्थ खर्च के प्रति विरोध करते हैं इसके अलावा सामुहिक विवाह को प्रोत्साहन वह देते हैं। चिंतामणि महाराज पूर्व की बीजेपी शासन के समय राज्य संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके है। उन्होंने संस्कृत शिक्षा के लिए राज्य के जशपुर जिले में संस्कृत कॉलेज भी अपनी कोशिशों से खुलवाया है। चिंतामणि महाराज ने दूसरी बार कांग्रेस की टिकट से बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा से जीत हासिल कर विधानसभा में पहुँचे थे।

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