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रमजान में खजूर से ही क्यों खोलते हैं रोजा ? क्या है इसका धार्मिक महत्व , जानें यहाँ

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रमजान के पाक महीने शुरुआत हो चुकी है. खुदा की इबादत का यह महीना मुस्लिम समुदाय के लिए खास महत्व रखता है. यहां 2 मार्च से रमजान का पवित्र महीना शुरू हो गया है. इस महीने में खुदा की इबादत भी सख्त नियम के तहत होती है और रोजे-नमाज के पाबंद रहते हैं. पूरे दिन बिना भोजन और पानी के रोजा यानी उपवास रखकर रोजेदार खुदा की इबादत से जुड़ते हैं. रमजान के दौरान रोजेदार सुबह सेहरी के साथ रोजे की शुरुआत करते हैं और शाम के वक्त इफ्तार के समय रोजा खोल लेते हैं. यह सिलसिला एक महीने तक चलता है.



पैगंबर साहब को पसंद था  खजूर

हुजुर पैगंबर साहब जो कुछ भी करते थे, तो वह सुन्नत कहलाती थी. पैगंबर साहब को खजूर काफी पसंद था और वह जब रोजा खोलते थे, तो पहले खजूर खाते थे और पानी पीते थे. तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है.

शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है खजूर

रमजान में सबसे पहले खजूर खाकर ही रोजा खोला जाता है. उसके बाद दूसरी चीजों का सेवन किया जाता है. खजूर का सेवन सेहत के लिए भी फायदेमंद है. खजूर प्राकृतिक ग्लूकोज, फ्रुक्टोज, सुक्रोज से भरपूर होता है, जो लंबे समय के उपवास के बाद खाने पर शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है.

30 दिनों तक चलते हैं रोजे

रमजान के महीने को नेकियों का महीना भी कहा जाता है. इस पवित्र महीने में खास दुआएं पढ़ी जाती है. रोजे के दौरान अल सुबह से लेकर शाम तक पानी की एक बूंद तक नहीं पीनी होती है. रोजे लगातार 30 दिनों तक चलते हैं. मान्‍यता है कि हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ने फरमाया है कि जो शख्स नमाज के साथ रोजे में ईमान और एहतिसाब बनाए रखे उसके सब पिछले गुनाह माफ कर दिए जाएंगे.

 

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