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पीले रंग का दुर्लभ पलाश पुष्प बना आकर्षण का केंद्र

सरायपाली। होली का त्यौहार हो और पलाश फूलों की चर्चा न हो, ऐसा संभव नहीं क्योंकि पलाश फूलों के बिना होली का त्योहार अधूरा सा लगता है। पलाश के फूलों से ही होली का रंग तैयार किया जाता है। पलाश के फूल अपनी चटख लाल रंग के लिए जाना जाता है। मगर पिछले दिनों फुलझर अंचल के बरतियाभांठा के पास एक दुर्लभ पलाश के फूल देखने को मिला, जिसका रंग लाल नहीं बल्कि पीला था। पीले रंग का पलाश फूल बहुत ही कम देखने को मिलता है।

ग्राम रोहिना निवासी कमलेश साहू ने बताया कि पिछले दिनों बरतियाभांठा के पास सड़क किनारे कुछ बच्चे पलाश के फूल तोड़ रहे थे। आमतौर पर पलाश के फूल लाल रंग के होते हैं मगर उनके हाथों में पलाश के जो फूल थे वे पीले रंग के थे। भंवरपूर-सागरपाली मार्ग किनारे खिले पीले रंग के पलाश पर अनायास ही नजर पड़ जाता है। वैसे तो पलाश के फूल अपने चटख लाल रंग के कारण जाना जाता है जो ऋतुराज बसंत के आगमन की सूचना देता है। आकर्षक लाल रंग के फूलों के कारण ही इसे ‘जंगल की आग’ कहा जाता है। वैसे तो लाल रंग के पलाश बहुतायत में पाया जाता है मगर कहीं-कहीं पर ही इस तरह के दुर्लभ पीत वर्ण के पलास के दर्शन होते हैं।

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