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जलते पाकिस्तान पर क्यूँ बोलें ?

राकेश अचल

पाकिस्तान जल रहा है .पाकिस्तान को जलना ही था. आज पाकिस्तान जिस मुकाम पर है ,उस मुकाम पर आग के अलावा और कोई दूसरा रास्ता बचता ही नहीं है .लेकिन बात ये है कि पाकिस्तान की अंदरूनी आग से हमारे ऊपर कोई फर्क पडेगा या नहीं ? क्या हमें पाकिस्तान के अंदरूनी हालात को लेकर परेशान होना चाहिए या नहीं ? पाकिस्तान में आग पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से भड़की है .
पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से बवाल मचा हुआ है. राजधानी इस्लामाबाद सहित कई शहरों में इमरान खान की पार्टी पीटीआई के समर्थकों ने जमकर हंगामा और तोड़फोड़ की है. क्वेटा में प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प में एक बच्चे की गोली लगने के मौत की रिपोर्ट है. रावलपिंडी में तो पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय पर भी हमला किया गया है. इसके अलावा लाहौर कैंट में सैन्य कमांडरों के घरों में आगजनी की गई है. मियांवाली एयरबेस के बाहर एक जहाज के ढांचे को भी प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया है. यह पहला मौका है, जब किसी विपक्षी नेता की गिरफ्तारी पर समर्थकों ने सीधे तौर पर पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाया है. रेडियो पाकिस्तान की इमारत में भी आग लगा दी गई है.
हमारे पड़ौस में आग लगे और हम खामोश रहें ,ये समझ से परे है. क्या पड़ौस की आग का धुंआ हमारे लिए परेशानी का सबब नहीं बन सकता ? पाकिस्तान से पहले हमारे पड़ौस में सोने की पुरानी लंका जल चुकी है .पड़ौस की आग से हम भले ही आँखें मूँद लें लेकिन ये आग विचलित तो करती है .पड़ौस की हर हलचल हमारे लिए महत्वपूर्ण होती थी,अब नहीं है. अब तो हमारा मणिपुर जल रहा है लेकिन हम मौन हैं ,क्योंकि हमारा काम मौन से चल रहा है .मौन में बड़ी ताकत होती है .हम घर हो या बाहर किसी भी आग से नहीं डरते .डरना हमने सीखा ही नहीं है .

बेशक इमरान की गिरफ्तारी पाकिस्तान का अंद्रूणीय मामला है. हमें इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए किन्तु अपने अवाम को तो भरोसा दिलाना चाहिए कि इस आग से हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ेगा .हम पूरे हालात पर निगाह रखे हुए हैं .पहले ऐसा होता था. जब कभी अडौस-पड़ौस में कोई भी हलचल होती थी हमारा सरकार हमें आगाह और आश्वस्त करती थी कि सरकार सजग है .अब हालात बदल गए हैं. अब जनता को आश्वस्त करने की जरूरत समझी ही नहीं जाती .
इमरान खान के समर्थकों का आरोप है कि इमरान खान की गिरफ्तारी पाकिस्तानी सेना के इशारे पर की है। इमरान खान लगातार सेना के खिलाफ हमलावर हैं। उन्होंने एक दिन पहले ही आरोप लगाया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारी मेजर जनरल फैसल नसीर उनकी हत्या की साजिश रच रहे हैं। इससे पहले इमरान खान ने अपनी सरकार गिराने के पीछे पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का हाथ बताया था। उन्होंने बाजवा पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया था। इमरान ने नए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर पर भी सरकार की बात सुनने और विपक्ष पर दबाव बनाने का भी आरोप लगाया था।

पाकिस्तान में लोकतंत्र और सेना हमेशा से एक -दूसरे कि आमने-सामने रही है .दोनों में शुरू से छत्तीस का अकड़ा रहा है .सत्ता कभी सेना कि हाथ में रहती है तो कभी जनता कि हाथ में ,लेकिन कब ,कौन सत्ता को लेकर गोली का सहारा लेने लगे ,कहा नहीं जा सकता .पाकिस्तान में गालियां नहीं गोलियां ही प्रचलन में हैं .पाकिस्तान कि निर्वाचित पूर्व या वर्तमान राष्ट्राध्यक्षों को या तो शहीद होना पड़ता है या देश छोड़कर भागना पड़ता है .जो नहीं भाग पाटा या शहीद हो पाटा उसे जेल में जाना पड़ता है. इमरान खान का क्या होगा,ये अल्लाह ही जानता होगा .

हमारी इमरान खान से सहानुभूति हो या न हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता,क्योंकि उनके साथ पाकिस्तान की जनता की सहानुभूति महत्वपूर्ण है .पकिस्तान कि प्रधानमंत्री शाहबाज खान कहते हैं की इमरान खान सफेद झूठ बोलने वाले आदमी हैं,वे लगातार कानून और व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं.संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बना रहे हैं .मुमकिन है ऐसा हो भी ,क्योंकि आजकल ऐसा होने लगा है .हमारे यहां भी हो रहा है किन्तु हम गोली से नहीं वोट कि जरिये अपने नेताओं का इंतजाम करते हैं .हमारे यहां भी लोकप्रिय जन नेताओं को गिरफ्तार करने की कोशिशें की जाती हैं .क्योंकि ये एक ख़ास तरह की शैली है .

यकींनन पकिस्तान से हमारा भाई-चारा नहीं है. खुली अदावत है .फिर भी यदि पाकिस्तान जलता है तो भारत को भी पूरी तरह सतर्क रहना चाहिए .भारत सतर्क होगा भी. भारत सतर्क रहता भी है ,भले ही इस सतर्कता के बीच मणिपुर जल जाता है .लोग मारे जाते हैं. पाकिस्तान में इमरान की गिरफ्तारी के बाद शायद एक-दो लोग ही मारे गए हों किन्तु मणिपुर में 50 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं .लोगों के मारे जाने से हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता,क्योंकि वैसे भी आबादी के मामले में हम अव्वल हैं.हमारे लिए लोग नहीं ,सत्ता महत्वपूर्ण है .दस-पचास लोगों के मरने से हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता .इतने लोग तो हमारे यहां बसें पलटने पर मारे जाते हैं .
पाकिस्तान में जब भी कुछ होता है उसकी प्रतिछाया भारत में भी दिखाई देती है .इसलिए हम सब चाहते हैं की इस बार भारत सचेत रहे और सुनिश्चित करे कि पाकिस्तान की उथल-पुथल का भारत कि ऊपर कोई असर नहीं पड़ने दिया जाएगा .हमें याद है की जब लंका जली थी तब हमारे ऊपर फर्क पड़ा था. हमें श्रीलंका की मदद करना पड़ी थी.भावी विश्व गुरु होने कि नाते हमें मदद करना पड़ती है .पाकिस्तान का मामला तनिक अलग है ,इसलिए इसे अलग तरीके से ही हल किया जाना चाहिए.

इस समय पाकिस्तान में सब कुछ ठीकठाक नहीं है. आर्थिक तंगी चार्म पर है. पाकिस्तान की मौजूदा शाहबाज सरकार भीख का कटोरा लिए खड़ी है .पाकिस्तान को इमदाद देने वाले मुल्क ख़ास तौर पर चीन पाकिस्तान की इस दुर्दशा का फायदा पहले से उठा रहा है .विश्व मुद्रा कोष पाकिस्तान को भाव नहीं दे रहा .ऐसे में सूरते हाल सुधरने कि बजाय बिगड़ जाएँ तो किसी को हैरानी नहीं होना चाहिए .मुश्किल ये है कि एक पड़ौसी कि नाते हम पाकिस्तान कि लिए प्रार्थना भी नहीं कर सकते .मुमकिन है कि हमें या आपको ऐसा करने पर देशद्रोही ठहरा दिया जाये .लेकिन वसुधैव कुटुंबकम कि हमारे संस्कार हमें बार-बार कहता है की पाकिस्तान को लेकर हमें जागते रहना चाहिए .केवल कर्नाटक और केरल स्टोरी में उलझे रहने से बात बनने वाली नहीं है .हम इमरान खान को पकिस्तान कि एक नेता कि रूप में भले पसंद न करें लेकिन एक क्रिकेटर कि रूप में वे हमारे पसंदीदा रहे हैं ,और इसमें कोई ऐतराज की भी बात नहीं है.

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