Shani Jayanti 2023: आज शनि जयंती है। सूर्य पुत्र शनिदेव का जन्म माता छाया की कोख से ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को हुआ था, इसलिए यह दिन शनिदेव को समर्पित है। हिन्दू देवी-देवताओं में कर्मफल दाता शनिदेव को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस दिन विधि-विधान पूर्वक शनिदेव की पूजा-अर्चना शुभ फलदायक मानी जाती है। शनिदेव की पूजा करते समय कभी उनकी आंखों में नहीं देखना चाहिए, अन्यथा व्यक्ति वक्री दृष्टि से पीड़ित हो सकता है। शनिदेव की पूजा करते समय हमेशा अपनी नजर उनके पैरों पर ही रखें, इससे शनि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस तरह होते हैं शनिदेव प्रसन्न
० शनि जयंती पर काली दाल, उड़द के लड्डू का भोग, मीठे भोजन का भोग, बेसन के लड्डू, शनि के निमित्त काले वस्त्र दान करने, सरसों के तेल का दीया जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
० जिस व्यक्ति को शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया या फिर उनकी महादशा चल रही हो, उसको शनि जयंती पर नियमित रूप से पूजा-अर्चना करने से काफी लाभ होता है।
० अगर कोई इंसान गरीब, असहाय, कमजोर आदि लोगों को परेशान करता है तो वह शनि की कुदृष्टि से नहीं बच पाता। गरीबों की मदद करने से लाभ होता है। छल-कपट और गलत काम कभी न करें।
० शनि जयंती के दिन लोहे एवं कांच की कोई चीज न खरीदें, साथ ही लकड़ी, उड़द की दाल, तेल, चप्पल-जूते नहीं खरीदने चाहिएं।
० पीपल, तुलसी, बेलपत्र के पौधों को नहीं काटना चाहिए।
० बाल कटवाने एवं नाखून काटने से भी परहेज रखें।
० शनि की दृष्टि से बचने के लिए इस दिन हनुमान जी की पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ होता है।