मंगला गौरी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। पति की लंबी उम्र के लिए महिलाएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं। सावन मास में आने वाले मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इसमें महिलाएं स्नान आदि के बाद मां गौरी की पूजा अर्चना करते हैं और शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत को खोला जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं मंगला गौरी व्रत कब है, इसका महत्व क्या है।
मंगला गौरी व्रत कब-कब रखा जाएगा
मंगला गौरी सावन मास में रखा जाता है। साल 2025 में सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है और 9 अगस्त तक चलेगा। जिस प्रकार सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है और सावन के प्रत्येक सोमवार को भोलेबाबा का विशेष रूप से पूजा होती है, ठीक उसी तरह सावन का प्रत्येक मंगलवार मां गौरी की पूजा के लिए खास होता है। इस दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाता है और मां का विशेष पूजन होता है। इस साल सावन में पहला मंगला गौरी व्रत 15 जुलाई को रखा जाएगा।
पहला मंगला गौरी व्रत – 15 जुलाई 2025
दूसरा मंगला गौरी व्रत – 22 जुलाई 2025
तीसरा मंगला गौरी व्रत – 29 जुलाई 2025
चौथा मंगला गौरी व्रत – 5 अगस्त 2025
मंगला गौरी व्रत का महत्वमान्यता है कि मंगला गौरी व्रत हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए रखती हैं। कथा कहती है कि मां पार्वती ने भगवान शिव का प्रेम और आशीर्वाद पाने के लिए यह व्रत किया था। मंगला गौरी व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में खुशियां और सुख समृद्धि आती है। पति, बच्चों समेत पूरे परिवार की रक्षा होती है। मंगला गौरी व्रत रखने वाली महिलाएं इस दिन फल, दूध आदि का सेवन कर सकती हैं। और शाम को चंद्रमा के दर्शन और पूजन के बाद व्रत खोलती हैं।