Close

गुप्त नवरात्रि आज से : जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, की जाती है 10 महाविद्याओं की पूजा

शक्ति साधना का सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि पर्व को सनातन धर्म का सबसे पवित्र और ऊर्जादायक पर्व माना गया है. साल में कुल चार नवरात्रि पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन मास में मनाई जाती है. इसमें पौष और आषाढ़ महीने में पड़ने वाली वाली दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है.

गुप्त नवरात्रि में देवी की 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है. देवी की दस महाविद्याओं की महाशक्तियां हैं मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर, मां भुनेश्वरी, मां छिन्नमस्तिके, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में गई साधना जन्मकुंडली के समस्त दोषों को दूर करने वाली और धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष देने वाली होती है.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी शक्ति के 32 अलग-अलग नामों का जाप, ‘दुर्गा सप्तशती’, ‘देवी महात्म्य’ और ‘श्रीमद्-देवी भागवत’ जैसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना सभी समस्याओं को समाप्त करता है और जीवन में शांति प्राप्त करने में मदद करता है.

इस साल गुप्त नवरात्रि बेहद शुभ संयोग में शुरू हो रही है. गुप्त नवरात्रि के पहले दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति इस दिन का महत्व बढ़ा रही है. सोमवार 19 जून से गुप्त नवरात्रि का आरंभ हो रहा है और 27 जून को इसका समापन होगा.

19 जून को प्रतिपदा तिथि सुबह 11 बजकर 25 मिनट तक रहेगी.
शुभ मुहूर्त- सुबह 09 बजकर 14 से 10 बजकर 56 मिनट तक.
इसके बाद अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 1 बजकर 6 मिनट तक.
इन शुभ मुहूर्त में आप कलश स्थापना कर सकते हैं. कलश को सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य, वैभव में वृद्धि और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है.

गुप्त नवरात्रि के दौरान कई शुभ योग

19 जून को गुप्त नवरात्रि के पहले दिन वाशी, सुनफा और वृद्धि योग
21 जून को बुध पुष्य नक्षत्र योग
25 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग लगेगा.
27 जून को भड़ली नवमी का शुभ संयोग रहेगा.
गुप्त नवरात्रि मे क्या करें

गुप्त नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को शुभ मुहूर्त में सबसे पहले जप-तप और व्रत का संकल्प लें और उसके बाद विधि-विधान से घटस्थापना करें. इसके बाद प्रतिदिन सुबह-शाम देवी धूप-दीप आदि दिखाकर पूजा और मंत्र जप करें. पूजा में लाल रंग के पुष्प, लाल सिंदूर और लाल रंग की चुनरी का प्रयोग करें.

गुप्त नवरात्रि महाउपाय

गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या की पूजा का विधान है. ऐसे में अपनी मनोकामना की शीघ्र पूर्ति के लिए देवी पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती या सिद्ध कुंजिकास्तोत्र का पाठ विशेष रूप से करें. श्रद्धापूर्वक से इस उपाय को करने पर साधक के जीवन से सभी दुःख दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के बगैर शून्यवत है हर प्रयोग

दुर्गा सप्तशती से संबंधित किसी भी प्रयोग के किए जाने पर अंत में जब तक कुंजिका स्त्रोत का पाठ नहीं किया जाए तब तक उसका फल प्राप्त नहीं होता है और चाहे नौ दिन तक पाठ या किसी मंत्र का जाप किया हो या हवन उन सबका फल शून्यवत हो जाता है. इसलिए कुंजिका स्त्रोत में अंत में कहा है- ‘न तस्य जायते सिद्धि अरिण्य रोदनम् यथा’. यानी जिस प्रकार जंगल में जाकर जोर-जोर से रोने पर भी कोई उसे चुप कराने वाला नहीं होता है उसी प्रकार से बिना कुंजिका स्त्रोत के पाठ करने पर उसका किसी भी प्रकार का फल प्राप्त नहीं होता. चाहे व्यक्ति कवच, अरग्ला स्त्रोत, किलक, रहस्य, सुक्त, जप, ध्यान, न्यास आदि न कर सके तो भी केवल कुंजिका स्त्रोत से पूर्ण फल प्राप्त होता है.

scroll to top