संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। सावन माह की संकष्टी चतुर्थी 06 जुलाई को है। सावन महीने में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को गजानन संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती है। इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्तगण सुख, शांति और समृद्धि के लिए भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान गणेश भक्तों के लिए विघ्नहर्ता माने जाते हैं। कहा जाता है विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। विधि-विधान से संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। तो चलिए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की तिथि और पूजा विधि के बारे में…
सावन संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत
चतुर्थी की शुरुआत 06 जुलाई दिन गुरुवार की सुबह 10 बजकर 08 मिनट पर हो रही है। अगले दिन 7 जुलाई 10 बजकर 18 मिनट पर यह तिथि समाप्त होगी। संकष्टी चतुर्थी में रात के समय चंद्रमा को अर्ध्य देने की परंपरा है, इसलिए उदया तिथि न मानकर 06 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा।
सावन संकष्टी चतुर्थी पूजा मुहूर्त
06 जुलाई को सावन संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश की पूजा के लिए शुभ समय सुबह 05 बजकर 26 मिनट से 10 बजकर 40 मिनट तक है। आप इस मुहूर्त में भगवान गणेश की पूजा कर सकते हैं।
सावन संकष्टी चतुर्थी पर चंद्रोदय का समय
6 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन रात 10 बजकर 12 मिनट पर चंद्रोदय का समय है। चंद्रोदय के बाद आप चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा करें और इसके बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण कर लें।
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
0 सावन संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातः काल उठकर स्नानादि करने के पश्चात पूजा घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़कें।
भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
ग0 णेश जी का तिलक करें व पुष्प अर्पित करें।
0 इसके बाद भगवान गणेश को 21 दूर्वा की गांठ अर्पित करें। गणेश जी को घी के मोतीचूर के लड्डू या मोदक का भोग लगाएं।
0 पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और पूजन में हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन विधि-विधान से पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रख कर पूजा करने से गौरी पुत्र श्री गणेश की कृपा प्राप्त होती है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।