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अंगारकी गणेश चतुर्थी व्रत से लेकर परशुराम अष्टमी व्रत तक, जानें इस हफ्ते के प्रमुख व्रत त्योहार के बारे में

जुलाई के इस सप्ताह व्रत त्योहार के लिहाज से बेहद खास माना जा रहा है। वर्तमान सप्ताह का शुभारंभ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से हो रही है। इस सप्ताह अंगारकी गणेश चतुर्थी तिथि का व्रत किया जाएगा। अंगारकी गणेश चतुर्थी व्रत के साथ इस सप्ताह श्रीस्कंद षष्ठी व्रत, वैवस्वत सूर्य पूजा, परशुराम अष्टमी पूजा समेत कई प्रमुख व्रत त्योहार पड़ने वाले हैं। व्रत त्योहार के साथ इस सप्ताह मंगल ग्रह का वृषभ राशि में होगा। आइए जानते हैं जुलाई मास के इस सप्ताह के प्रमुख व्रत त्योहार के बारे में…

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी मंगलवार को पड़ रही है, इसलिए इस बार अंगारकी वैनायकी गणेश चतुर्थी व्रत है। इस व्रत का विशेष महत्व बहुत है। इस दिन भगवान गणेश का व्रत किया जाता है और विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन संकट नाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करने से समस्त प्रकार की बढ़ाएं भी दूर हो जाती हैं। साथ ही प्रथम पूज्य भगवान गणेश की कृपा से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।

श्रीस्कंद षष्ठी व्रत (12 जुलाई, शुक्रवार)
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म माना जाता है। इसीलिए, इस दिन को स्कंद षष्ठी व्रत, कुमार षष्ठी व्रत और कर्दम षष्ठी व्रत (बंगाल) के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय की इस दिन विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से सुख-शांति और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी तरह के रोग, राग, दुख, दरिद्रता का निवारण भी होता है। धार्मिक शास्त्र के अनुसार, भगवान विष्णु ने इस दिन मोह माया में पड़े नारादजी का उद्धार करते हुए लोभ से मुक्ति दिलाई थी।

वैवस्वत सूर्य पूजा (13 जुलाई, शनिवार)
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को वैवस्वत सूर्य पूजा होती है। इसे सूर्य सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य के साथ पुत्र वैवस्वत मनु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि यह पूजा करने से व्यक्ति निरोग रहता है और मान सम्मान में अच्छी वृद्धि होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वैवस्वत मनु सूर्यदेव यानी विवस्वान और देवी संज्ञा के पुत्र हैं। वैवस्वत मनु को सत्यव्रत और श्राद्धदेव भी कहा जाता है।

 

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