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कही-सुनी (21 JULY 24) : उप मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा का चिंतन-मनन

रवि भोई की कलम से

कहते हैं भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उप मुख्यमंत्री पद को लेकर चिंतन-मनन में लग गया है। चर्चा है कि उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री और एक उप मुख्यमंत्री के बीच खींचतान की खबरों के बीच भाजपा आलाकमान उप मुख्यमंत्री पद को लेकर गंभीर हो गया है। बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जुलाई को भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई है। खबर है कि इस बैठक के बाद भाजपा नेतृत्व उप मुख्यमंत्री पद को लेकर ठोस फैसला करेगा। कहा जा रहा है कि भाजपा ने जातीय संतुलन के लिए उप मुख्यमंत्री का फार्मूला लागू किया। फार्मूले का क्रियान्वयन सबसे पहले उत्तरप्रदेश में हुआ। खबर है कि वहीं फार्मूले अब गले का फ़ांस बन गया है। भाजपा के बड़े नेता मानने लगे हैं कि उप मुख्यमंत्री के फार्मूले से भाजपा शासित राज्यों में सत्ता के केंद्र बढ़ गए हैं। इस कारण भाजपा शासित राज्यों में इस फार्मूले को खत्म करने की सुगबुगाहट बढ़ गई है। 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में उप मुख्यमंत्री के फार्मूले को लागू किया। 2024 के चुनाव के बाद यह फार्मूला ओडिशा में भी अपनाया गया। गठबंधन सरकार में भी भाजपा के उप मुख्यमंत्री हैं, जैसे बिहार में भाजपा के विजय कुमार सिन्हा और सम्राट चौधरी ,तो महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री हैं। आंध्रप्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाले एनडीए सरकार में जन सेना पार्टी के पवन कल्याण उप मुख्यमंत्री हैं। कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में भी उप मुख्यमंत्री हैं। मेघालय और नागालैंड जैसे छोटे राज्य में भी दो-दो उप मुख्यमंत्री हैं। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री रहते वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने पांच उप मुख्यमंत्री बनाए थे, पर रेड्डी के पार्टी के सर्वेसर्वा होने के कारण उप मुख्यमंत्री ताकत नहीं दिखा सके, लेकिन भाजपा शासित राज्यों में ऐसा नहीं हैं। इस कारण भाजपा के बड़े नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें झलकने लगी हैं। अब इंतजार है हाईकमान के फैसले का।

कांग्रेस में नेतृत्व के लिए नेताओं का टोटा

कहते हैं दिल्ली के एक नेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को बदलना चाहते हैं, पर नेतृत्व सौंपने के लिए नेताओं का टोटा के चलते पीछे हट गए। पूर्व उप मुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की बात चली थी, पर एक नेता ने पेंच मार दिया। खबर है कि नेताजी ने बड़े नेताओं के कान में फूंक दिया कि सिंहदेव के सरगुजा संभाग में सभी 14 सीटें कांग्रेस हार गई है। लोकसभा भी जीत नहीं पाए। ऐसे में सिंहदेव को कमान सौंपने का संदेश अच्छा नहीं जाएगा। नेताजी के पेंच से सिंहदेव का नाम आगे नहीं बढ़ पाया। मामला ठंडे बस्ते में चला गया और दीपक बैज को जीवनदान मिल गया। दीपक बैज खुद 2023 में विधानसभा चुनाव हार गए और उनके नेतृत्व में 2024 का लोकसभा चुनाव यहाँ पार्टी बुरी तरह हार गई। 11 में से केवल एक सीट ही वह जीत सकी। इस कारण दिल्ली के नेता दीपक बैज की जगह नया चेहरा चाहते हैं। दीपक बैज की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए कई दावेदार हैं। बताते हैं उनको लेकर कांग्रेस हाईकमान कॉन्फिडेंट नहीं है। दीपक बैज ताकत दिखाने में लग गए हैं। राज्य की जनसमस्याओं को लेकर उनके नेतृत्व में पार्टी 24 जुलाई को विधानसभा का घेराव करने वाली है। अब देखते हैं 24 जुलाई को किस तरह का शक्ति प्रदर्शन होता है ?

पतियों के सहारे विभाग ?

कहते हैं छत्तीसगढ़ में सरकार का एक विभाग पतियों के भरोसे चल रहा है। इस विभाग की कर्ताधर्ता महिला है। बताते हैं महिला कर्ताधर्ता अपने निजी स्टाफ में प्रमुख पद पर महिला की तैनाती कर रखी है। चर्चा है कि महिला कर्ताधर्ता अपने पति से चर्चा के बिना फाइलों पर दस्तखत नहीं करती, वहीं निजी स्टाफ में प्रमुख पद पर तैनात महिला कर्मचारी भी अपने पति को फाइल दिखाए बिना आगे नहीं बढ़ातीं। बताते हैं इसके कारण विभाग में बिना दस्तखत के फाइलों की संख्या बढ़ गई है। कई जरुरी फाइलें भी महिला कर्ताधर्ता के दस्तखत के इंतजार में उनके दफ्तर में बांट जोह रही है। बताते हैं फाइलों पर दस्तखत के अभाव में जनहित के काम पर भी असर पड़ रहा है।

मंत्री स्टाफ में तैनात डिप्टी कलेक्टर चर्चा में

राज्य के एक मंत्री के स्टाफ में तैनात एक डिप्टी कलेक्टर इन दिनों सुर्ख़ियों में हैं। कहते हैं लोकसभा चुनाव के दौरान भी साहब ने अपनी जेब गर्म की थी और अब भी शुरू हो गए हैं। साहब की शिकायत मंत्री जी तक लोगों ने पहुंचा दी है। अब मंत्री जी के एक्शन का इंतजार है। कहा जाता है कि कांग्रेस के राज में डिप्टी कलेक्टर साहब के बड़े भाई बड़े पावरफुल थे। तब वे ताकतवर मंत्री के दाहिने हाथ थे। कांग्रेस की सरकार जाते ही उन्हें राजधानी से कोसों दूर भेज दिया गया, पर उनका छोटा भाई भाजपा सरकार के एक मंत्री के स्टाफ में घुसपैठ कर ली और मंत्री के करीबी बन गए। इसका फायदा उठाकर अपना उल्लू सीधा करने में लग गए। अब देखते हैं कब तक उनका दांव चलता है।

केदार कश्यप की परीक्षा

सोमवार 22 जुलाई से छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होगा। केदार कश्यप पहली बार संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी संभालेंगे। संसदीय कार्य मंत्री के तौर पर सदन के संचालन के लेकर मंत्रियों के बचाव और विपक्ष को साधने में कितने सक्षम होते हैं, यह इस सत्र में दिखेगा। मानसून सत्र काफी छोटा है। केवल पांच बैठकें होंगी, पर विपक्ष आक्रामक रुख अपना सकता है। पिछली बार नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने शेर की मौत के मामले में वन मंत्री के नाते केदार कश्यप को खूब घेरा था। इस बार क्या रुख होता है, देखते हैं। वैसे केदार कश्यप डॉ रमनसिंह के कैबिनेट में 15 साल मंत्री रहे हैं।

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने तय किए लक्ष्य

रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने अपने संसदीय क्षेत्र के साथ राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण में सुधार का लक्ष्य तय किया है। पर्यावरण सुधार और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए बृजमोहन अग्रवाल ने रायपुर लोकसभा क्षेत्र में 11 लाख पौधे लगाने की ठानी है। मां के नाम एक पेड़ लगाने के अभियान के तहत पौधों को लगाने, बचाने और बड़ा करने के लिए सांसद जी लोगों की मदद भी करेंगे। रायपुर दक्षिण से आठ बार के विधायक, पांच बार के मंत्री और पहली बार सांसद बने बृजमोहन जी पौधरोपण के बहाने एक्टिव रहेंगे, तो छत्तीसगढ़ निर्माण के 24 साल बाद पहली बार बृजमोहन अग्रवाल के बिना राज्य की विधानसभा चलेगी।

कौन होगा रायपुर-बिलासपुर का कमिश्नर ?

2004 बैच के आईएएस डॉ संजय अलंग 31 जुलाई को रिटायर्ड हो जाएंगे। वे अभी रायपुर के साथ बिलासपुर संभाग के भी आयुक्त हैं। माना जा रहा है कि विधानसभा सत्र के बाद आईएएस अफसरों की पोस्टिंग में कुछ हेरफेर होगी, उसमें रायपुर और बिलासपुर के लिए नए आयुक्त की पदस्थापना हो जाएगी। वैसे सरकार ने दो दिन पहले ही जगदलपुर के संभागायुक्त श्याम धावड़े का रायपुर ट्रांसफर कर उनकी जगह डोमनसिंह को बस्तर का कमिश्नर बनाया है। डोमन सिंह अभी बिलासपुर संभाग में अपर आयुक्त हैं।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )

 

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