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कब है सावन की पहली चतुर्थी? बना 3 शुभ संयोग, जानें मुहूर्त, पूजन विधि, चंद्र अर्घ्य समय

सावन का शुभारंभ 22 जुलाई सोमवार से हो चुका है. सावन की पहली चतुर्थी यानी संकष्टी चतुर्थी श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी. सावन की पहली चतुर्थी को गजानन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जानते हैं. इस दिन व्रत रखते हैं, भगवान शिव और माता पार्वती के छोटे पुत्र गणेश जी की विधि​ विधान से पूजा करते हैं. इस बार गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. इस व्रत में गणेश पूजन के बाद रात के समय में चंद्रमा की पूजा करते हैं और अर्घ्य देते हैं. फिर यह व्रत पूर्ण होता है. बिना चंद्रमा के अर्घ्य दिए यह व्रत सफल नहीं माना जाता है. आइए जानते हैं सावन की पहली चतुर्थी कब है? गजानन संकष्टी चतुर्थी की तारीख क्या है? पूजा का मुहूर्त और चंद्रोदय समय क्या है?

किस दिन है सावन की पहली चतुर्थी 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 जुलाई दिन बुधवार को सुबह 7 बजकर 30 मिनट से शुरू हो रही है. यह तिथि 25 जुलाई दिन गुरुवार को सुबह 4 बजकर 39 मिनट पर खत्म होगी.

उदयाति​​थि के आधार पर सुबह में तृतीया तिथि होगी, लेकिन इसका समापन सुबह 07:30 बजे होगा. चतुर्थी तिथि में चंद्रोदय 24 जुलाई को ही होगा और 25 जुलाई को चंद्रोदय पंचमी तिथि में होगी. ऐसे में चतुर्थी में चंद्रमा का अर्घ्य 24 जुलाई को ही दिया जाएगा. इस आधार पर सावन की पहली चतुर्थी 24 जुलाई बुधवार को होगी. गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत उस दिन ही रखा जाएगा.

 

3 शुभ संयोग में है सावन की पहली चतुर्थी
सावन की पहली चतुर्थी के दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. पहला यह कि यह व्रत बुधवार को है, जो यह भगवान गणेश जी की पूजा का प्रतिनिधि दिन माना जाता है. इसके अलावा व्रत के दिन सौभाग्य और शोभन योग बन रहे हैं. सौभाग्य योग प्रात:काल से सुबह 11:11 ए एम तक है, उसके बाद शोभन योग बनेगा.

सावन की पहली चतुर्थी 2024 का मुहूर्त
सावन की पहली चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा का मुहूर्त सूर्योदय के बाद से बन रहा है. उस समय सौभाग्य योग होगा. आप चाहें तो शोभन योग में भी पूजा कर सकते हैं. इसके इतर व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:15 ए एम से 04:57 ए एम तक है.

सावन की पहली चतुर्थी 2024 चंद्रोदय समय
गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा के उदित होने का समय 09:38 पी एम पर है. इस समय के बाद से आप कभी भी चंद्रमा की पूजा करके उसे अर्घ्य दे सकते हैं.

गजानन संकष्टी चतुर्थी पर भद्रा और पंचक भी
गजानन संकष्टी चतुर्थी वाले दिन भद्रा का साया रहेगा, लेकिन गणेश पूजन में कोई समस्या नहीं है. व्रत के दिन भद्रा सुबह 05:38 ए एम से 07:30 ए एम तक ही है. इस भद्रा का वास पृथ्वी पर है. ऐसे में इस समय में कोई भी शुभ कार्य न करें. चतुर्थी को पूरे दिन पंचक भी है. लेकिन इस पंचक का प्रारंभ सोमवार से हुआ है, जो अशुभ नहीं माना जाता है.

गजानन संकष्टी चतुर्थी 2024 पूजा विधि
व्रत के दिन सुबह में उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत हो जाएं. उसके बाद स्नान करके साफ कपड़े पहनें. फिर हाथ में जल लेकर व्रत और गणेश पूजा का संकल्प करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करें.

गणपति बप्पा को वस्त्र, पीले और लाल फूल, अक्षत्, हल्दी, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पान, सुपारी, मौली, जनेऊ, धूप, दीप, गंध, नैवेद्य आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम गं गणपतये नम: मंत्र का उच्चारण करते रहें. फिर गणेश जी को लड्डू, मोदक, फल आदि का भोग लगाएं. फिर गणेश चालीसा का पाठ करके चतुर्थी व्रत की कथा पढ़ें और अंत में बप्पा की आरती करें.

 

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