बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग में पिछले 12 सालों से लंबित प्राचार्य पदोन्नति का मामला एक बार फिर गरमा गया है। छत्तीसगढ़ राज्य प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा और उसके सहयोगी संगठनों ने राज्य सरकार से मांग की है कि ‘टी संवर्ग’ के प्राचार्य पदों पर तत्काल निष्पक्ष काउंसलिंग कराई जाए और 15 अगस्त, 2025 से पहले पदस्थापना आदेश जारी किए जाएं।
यह उल्लेखनीय है कि बिलासपुर उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने 1 जुलाई, 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसले में प्राचार्य पदोन्नति पर लगे स्टे को हटा दिया था, जिससे लंबे समय से रुकी हुई पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त हो गया था। हालांकि उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच में प्राचार्य पदोन्नति के एक अन्य मामले में स्टे के कारण ई संवर्ग की पदोन्नति पर अभी भी कानूनी रोक लगी हुई है। इस मामले की सुनवाई लगातार जारी है और जल्द ही फैसला आने की उम्मीद है।
छत्तीसगढ़ राज्य प्राचार्य पदोन्नति संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक सतीश प्रकाश सिंह ने शासन से आग्रह किया है कि चूंकि टी संवर्ग की प्राचार्य पदोन्नति पर कोई कानूनी रोक नहीं है, इसलिए इस संवर्ग के लिए तत्काल काउंसलिंग आयोजित कर 15 अगस्त, 2025 से पहले पदस्थापना आदेश जारी किए जाएं। उन्होंने यह भी मांग की है कि ई संवर्ग की पदोन्नति पर लगी कानूनी बाधाओं को दूर करने के लिए त्वरित पहल की जाए।
सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदेश में हर महीने 150-200 वरिष्ठ व्याख्याता और प्रधान पाठक बिना प्राचार्य बने सेवानिवृत्त हो रहे हैं, जिन्होंने 35-40 साल तक सेवा दी है। इन शिक्षकों की पीड़ा को देखते हुए सभी कानूनी बाधाओं को दूर कर जल्द से जल्द पदोन्नति प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।
संघर्ष मोर्चा ने शासन से 30 अप्रैल, 2025 को जारी प्राचार्य पदोन्नति सूची में से सेवानिवृत्त हो चुके लोगों के स्थान पर प्रतीक्षा सूची से पात्र वरिष्ठों को शामिल करने की भी मांग की है। इसके अतिरिक्त उन्होंने उच्च न्यायालय के फैसले और पदोन्नति नीति के नियम 15 का पालन करते हुए प्रधान पाठक से व्याख्याता बने लोगों को भी प्राचार्य पदोन्नति का लाभ देने की मांग की है और ऐसे नियमित व्याख्याताओं की वरिष्ठता के अनुरूप उन्हें 30 अप्रैल, 2025 से प्राचार्य पद पर पदोन्नति देने की बात कही है।
मोर्चा का मानना है कि इन पदोन्नतियों से प्रदेश के प्राचार्यविहीन विद्यालयों में पूर्णकालिक प्राचार्य मिलने से शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।