नेशनल न्यूज़। देश में छोटे मझोले एवं बड़े शहरों में रेलवे स्टेशनों को सिटी सेंटर के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास कार्य का एक साथ शुभारंभ किया। पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश के कोने-कोने में 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास कार्य की आधारशिला रखी। इन 508 स्टेशनों में पर्यटन एवं तीर्थस्थल भी शामिल हैं। इसमें छत्तीसगढ़ के 9 रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पहल
रेल, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज यहां पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि रेलवे निम्न आय वर्ग और मध्यम वर्ग की सवारी है और प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि रेल यात्रियों का यात्रा का अनुभव बिना आर्थिक बोझ बढ़ाए बेहतर बनाया जाये। यात्रियों का पहला पड़ाव रेलवे स्टेशन होता है और इसके बाद ट्रेन की सवारी का उसके मन पर प्रभाव पड़ता है। वैष्णव ने कहा कि इसी उद्देश्य से रेलवे स्टेशनों का दीर्घकालिक द्दष्टिकोण एवं चरणबद्ध तरीके से पुनर्विकास करने की योजना बनाई गई। यह योजना मुख्य रूप से सुरक्षित, आरामदायक और स्वच्छ रेलवे परिसर प्रदान करने पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि पहले चरण में देश में अब तक तीन रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास करके उन्हें लोकार्पित किया जा चुका है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन, गुजरात की राजधानी गांधीनगर के स्टेशन और कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के सर एम. विश्वेश्वरैया टर्मिनल के पुनर्विकसित भव्य परिसरों से प्राप्त अनुभव एवं फीडबैक के आधार पर भारतीय रेलवे के 1309 स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना बनाई गई है।
इन राज्यों में रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास
रेल मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत 30 स्टेशनों के पुनर्विकास का काम पहले ही शुरू हो चुका है और अब दूसरे चरण में 508 स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए आधारशिला रखी जा रही है। इन स्टेशनों का पुनर्विकास 24 हजार 470 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से किया जाएगा। शहर के दोनों किनारों को समुचित रूप से जोड़ते हुए इन स्टेशनों को ‘सिटी सेंटर’ के रूप में विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किए गये हैं। यह एकीकृत दृष्टिकोण रेलवे स्टेशन के आसपास के क्षेत्र पर केंद्रित शहर के अगले 40 से 50 साल की जरूरतों के आधार पर समग्र शहरी विकास के विजन से प्रेरित है। रेल मंत्री ने बताया कि ये 508 स्टेशन देश के 23 राज्यों और चार केंद्र-शासित प्रदेशों में स्थित हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश में 55, राजस्थान में 55, बिहार में 49, महाराष्ट्र में 44, पश्चिम बंगाल में 37, मध्य प्रदेश में 34, असम में 32, ओडिशा में 25, पंजाब में 22, गुजरात में 21, तेलंगाना में 21, झारखंड में 20, आंध्र प्रदेश में 18, तमिलनाडु में 18, हरियाणा में 15, कर्नाटक में 13 स्टेशन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि अमृत भारत स्टेशन पुनर्विकास योजना में प्रमुख रूप से बेहतर स्टेशन भवन, विशाल रूफ प्लाजा (36/72/108 मीटर) जिसमें रिटेल शॉप्स, कैफेटेरिया, मनोरंजन सुविधाओं के साथ-साथ सभी यात्री सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होंगी। छोटे स्टेशनों पर विकास के पहले चरण में 12 मीटर चौड़ा रूफ प्लाजा बनाया जाएगा।
मिलेंगी कई सुविधाएं
स्टेशन भवन एवं परिसर की डिजाइन पटरी के दोनों ओर शहर के दोनों किनारों का एकीकरण करने वाली होगी। स्टेशन परिसर की डिज़ायन अगले 40 से 60 वर्षों की आवश्यकताओं की परिकल्पना के आधार पर बनाई जाएगी। इसमें सुचारू यातायात प्रवाह, पर्याप्त पाकिर्ंग सुविधाएं, मल्टी-मॉडल एकीकरण यानी एक ही स्थान पर यातायात के विभिन्न साधनों की उपलब्धता, उच्च स्तरीय प्लेटफ़ॉर्म, बेहतर फर्श एवं प्लेटफ़ॉर्म कवर, दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं, आरामदायक रोशनी, मार्गसंकेतक, लिफ्ट/एस्केलेटर, सुरक्षित – सीसीटीवी, नियंत्रित आवागमन सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा रूफ प्लाजा होगा। रूफ प्लाज़ा आधुनिक सुविधाओं को एक स्थान पर एकत्रित करने के लिए पटरियों के ऊपर बनाए गए सार्वजनिक स्थान हैं। ये रूफ प्लाजा व्यवहार्यता के अनुसार विभिन्न चरणों में उपलब्ध कराए जाएंगे। यात्री यहां आराम से इंतजार कर सकेंगे और बेहतर सुविधाओं का आनंद ले सकेंगे। इसमें लाउंज, प्रतीक्षा क्षेत्र, शॉपिंग क्षेत्र, रेस्तरां आदि के लिए स्थान शामिल होंगे। इसमें बच्चों के खेल क्षेत्र, मनोरंजक गतिविधियों आदि के लिए भी स्थान होगा। ‘वन स्टेशन वन प्रोडक्ट’ यानी एक स्टेशन एक उत्पाद योजना के जरिए स्टेशनों पर देश के हर नगर/कस्बे के स्थानीय उत्पादों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। स्टेशन भवनों की डिजाइन स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्तुकला से प्रेरित होगी।
तेजी से काम कर रहीं एजेंसियां
रेल मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार स्टेशन विकास कार्यक्रम में गति लाने और एकीकृत कमान एवं नियंत्रण के लिए बुनियादी नीतिगत कदम उठाए गए। स्टेशन पुनर्विकास परियोजनाओं की गहन समीक्षा की गई। यह देखा गया कि कई एजेंसियां काम कर रही थीं। दक्षता एवं फोकस में सुधार के लिए भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम (IRSDC) को बंद करने का निर्णय लिया गया जो स्टेशन पुनर्विकास एजेंसियों में से एक थी। IRSDC को भंग करके रेल भूमि विकास निगम को इसके लंबित कार्य सौंपे गए। रेल ज़ोनों एवं मंडलों को अधिक अधिकार संपन्न बनाया गया। इसके बाद सभी स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए मानक दस्तावेजों को अंतिम रूप दिया गया। तकनीकी परामर्श मॉडल दस्तावेज़, ईपीसी मॉडल दस्तावेज़, पीएमसी मॉडल दस्तावेज़, परियोजना को सहयोग देने के लिए ईसी मॉडल दस्तावेज़ तैयार करने के साथ सलाहकार पैनल का गठन करके विस्तृत परियोजना रिपोटर् (DPR) तैयार करने, सर्वेक्षण करने, वास्तुकला परामर्शदाता, परियोजना प्रबंधन परामर्शदाता एवं विस्तृत डिज़ायन परामर्शदाता की नियुक्ति करने का काम किया गया।