रवि भोई की कलम से
आमतौर पर राज्य के आला अफसर राज्यपाल से मिलकर प्रदेश के विकास, योजनाओं और कानून-व्यवस्था की जानकारी उन्हें देते हैं। छत्तीसगढ़ के नए राज्यपाल रमेन डेका ने इस परंपरा को बदलकर पिछले दिनों मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य अफसरों की बैठक बुलाकर कानून-व्यवस्था और विकास योजनाओं की जानकारी ली और आवश्यक निर्देश भी दिए। राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते हैं और उन्हें अफसरों की बैठक करने का अधिकार है। पहले के गवर्नर ऐसी बैठकें नहीं करते थे। अधिकारी उन्हें ब्रीफ कर देते थे। 31 जुलाई को छत्तीसगढ़ के 10 वें राज्यपाल बनने के बाद रमन डेका ने जिस तरह अफसरों की बैठक लेकर निर्देश दिए हैं, उससे लोग अंदाजा लगाने लगे हैं कि वे काफी एक्टिव रहने वाले हैं और राज्य में डबल इंजन चलेगी। गवर्नर की बैठक की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में भी खासी चर्चा है। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बनने के पहले तक रमेन डेका असम राज्य के नवाचार एवं रूपान्तरण आयोग के उपाध्यक्ष थे और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ था। वे 2009 से लेकर 2014 तक सांसद रहे। सांसद रहते लोकसभा की कई समितियों के सदस्य भी रहे।
कांग्रेस नेता की गुत्थी में उलझे उद्योगपति
कहते हैं राज्य के स्टील उद्योगपतियों के साथ खेला हो गया, उनके साथ माया मिली न राम वाली कहावत चरितार्थ हो गई । स्टील उद्योगपतियों ने बिजली अनुदान के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए हड़ताल का ऐलान कर दिया। खबर है कि सरकार स्टील उद्योग को पिछले सात साल से करीब 300 करोड़ का बिजली अनुदान दे रही थी। यह अलग बात है कि इस अनुदान का लाभ राज्य की जनता को नहीं मिल रहा था । उद्योगपतियों का तर्क है कि अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ में बिजली की दर अधिक है। इसलिए उन्हें राहत तो मिलनी ही चाहिए। चर्चा है कि सरकार उद्योगपतियों को कुछ राहत देने की सोच रही थी, इस बीच उद्योगपतियों के पक्ष में एक कांग्रेसी नेता के कूद जाने से मामला उलझ गया। स्टील उद्योगपति कांग्रेस नेता की गुत्थी में ऐसे उलझे कि न तो वे सरकार पर दबाव बना पाए और न ही मांग मनवा पाए। उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन के आश्वासन पर ही उन्हें हड़ताल वापस लेनी पड़ी।
मंत्रिमंडल का विस्तार टला ?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने तत्कालीन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के प्रभार वाले जिलों को जिस तरह चार मंत्रियों के बीच बांट दिया है, उससे लग रहा है कि जल्दी में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होने वाला है। पहले चर्चा थी कि 15 अगस्त के पहले एक मंत्री बना दिया जाएगा। साय मंत्रिमंडल में अभी मंत्री के दो पद खाली हैं। अब लग रहा है कि मुख्यमंत्री समेत 11 मंत्रियों के अलावा कई विधायकों को भी इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडावंदन का मौका मिल जाएगा। कहा जा रहा है कि अब मंत्रिमंडल का विस्तार नगरीय निकाय चुनाव तक टल गया। वैसे कुछ दिनों पहले तक मंत्रिमंडल विस्तार और निगम-मंडलों में नियुक्ति को लेकर संगठन पर दबाव था और कई दावेदार सामने आ रहे थे।
पुलिस में फेरबदल कब होगा ?
अशोक जुनेजा को छह माह का एक्टेंशन देकर सरकार ने डीजीपी पर कयासों का बादल साफ़ कर दिया। अब एसपी और आईजी को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। पुलिस मुख्यालय में भी कई अफसर बिना चार्ज के तैनात हैं। राज्य में विष्णुदेव साय की सरकार आने के बाद पुलिस में जिले स्तर पर एक बार ही बदलाव हुआ है। उम्मीद की जा रही थी कि विधानसभा के मानसून सत्र के बाद आधे दर्जन से अधिक जिलों के एसपी इधर से उधर होंगे। सरकार ने एक-दो कलेक्टर और कमिश्नर को इधर से उधर किया, पर पुलिस अधीक्षकों और आईजी को नहीं छेड़ा। अब माना जा रहा है कि 15 अगस्त के बाद एसपी बदल सकते हैं। राज्य के कुछ जिलों में ख़राब कानून-व्यवस्था को कांग्रेस मुद्दा भी बनाए हुए है, उसने इस मुद्दे पर विधानसभा का घेराव भी किया था।
अनुराग पांडे बने रहेंगे कलेक्टर
कहते हैं अनुराग पांडे रिटायरमेंट तक बीजापुर के कलेक्टर बने रहेंगे। अनुराग पांडे 31 अगस्त को रिटायर होने वाले हैं। खबर है कि सरकार ने मौखिक आदेश दे दिया है कि अनुराग पांडे के रिटायरमेंट के बाद ही संबित मिश्रा बीजापुर के कलेक्टर का कार्यभार ग्रहण करेंगे। संबित मिश्रा अभी जिला पंचायत कोरबा के सीईओ हैं। कहा जा रहा है कि अनुराग पांडे का परिवार जनसंघ और भाजपा से जुड़े होने के साथ वे पिछले सात महीने में वहां काम भी बहुत अच्छा किया है। नए गवर्नर रमेन डेका ने एक से तीन अगस्त तक दिल्ली में आयोजित राज्यपाल सम्मेलन में नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में हुए सकारात्मक कामों को प्रस्तुत किया। बीजापुर के करीब 100 बच्चे स्वतंत्रता दिवस की परेड देखने के लिए प्लेन से रायपुर आने वाले हैं।
भूपेश बघेल की सक्रियता के मायने
कहा जाने लगा है कि कांग्रेस में दूसरे नेताओं के मुकाबले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ज्यादा सक्रिय दिखने लगे हैं। भूपेश बघेल ने अपने बंगले में हरेली उत्सव मनाया। राजधानी की सड़कों में गेड़ी पर चढ़े उनके पोस्टर भी जगह-जगह दिखाई दिए। भूपेश बघेल भाजपा की सरकार पर हमले करने से भी नहीं चूक रहे हैं। कानून-व्यवस्था से लेकर सड़कों पर गायों के विचरण के मसले पर वे साय सरकार पर निशाना लगा रहे हैं। भूपेश विधानसभा के भीतर भी आक्रामक दिखे। सरकार ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री निवास के सामने ही बंगला दिया है। वहीं से वे राजनीतिक तीर छोड़ रहे हैं। लोग कहने लगे हैं कि भूपेश की नजर फिर पीसीसी अध्यक्ष पर तो नहीं है। भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बाद मुख्यमंत्री बने थे।
रिटायर्ड आईएफएस की नजर पर्यावरण मंडल पर
कहते हैं एक रिटायर्ड आईएफएस छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल का अध्यक्ष बनने की जुगत में हैं। भूपेश सरकार में ये आईएफएस मुख्यधारा में रहे, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भूपेश सरकार ने कोई अच्छा पद नहीं दिया। अब रिटायर्ड आईएफएस भाजपा के सक्रिय सदस्य बन गए हैं। कहा जा रहा है कि अफसर के साथ भाजपा नेता होने के कारण उनके लिए अलग ही रास्ता बन गया। बताते हैं कि रिटायर्ड आईएफएस अफसर इन दिनों आरएसएस के लोगों के भी करीब हैं। वातावरण तो पूर्व अफसर के अनुकूल दिख रहा है, पर पद कब तक मिलता है, यह देखने वाली बात है। कहा जाता है रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस राज में भी यह अफसर छत्तीसगढ़ पर्यावरण मंडल के अध्यक्ष की कुर्सी पर निगाह लगाए थे, पर लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। अब भाजपा सरकार में किस्मत साथ दे दे तो सपना पूरा हो जाएगा।
बिरसा मुंडा जयंती पर जोर होगा साय सरकार का
कहते हैं छत्तीसगढ़ की साय सरकार आदिवासियों को साधने के लिए बिरसा मुंडा जयंती मनाएगी। 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जाती है। बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने के लिए पिछले साल 15 नवंबर को देश भर में जन जातीय गौरव दिवस मनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं खूंटी गए थे। बिरसा मुंडा का जन्म खूंटी जिले के उलिहातू गांव में 15 नवंबर 1875 को हुआ था। आज भी बिहार, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ और पश्चिम बंगाल के आदिवासी इलाकों में बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजा जाता है। स्वतंत्रता आंदोलन में भी बिरसा मुंडा का बड़ा योगदान माना जाता है। कहते हैं बिरसा मुंडा की जयंती पर फोकस होने के कारण राज्य की भाजपा सरकार ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर कोई ख़ास रूचि नहीं दिखाई।कांग्रेस राज में यहां विश्व आदिवासी दिवस को ज्यादा महत्व दिया गया था। आदिवासी दिवस पर सरकारी स्तर पर कोई आयोजन न होने को कांग्रेस ने एक मुद्दा बना दिया है। इस मुद्दे पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को एक पत्र भी लिखा है।
सोमवार से शुरू हो जाएगा पिछड़ा वर्ग आयोग
सरकार ने रिटायर्ड आईएएस आर एस विश्वकर्मा की अध्यक्षता में सात सदस्यीय छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन कर दिया है। यह संवैधानिक संस्था होगी। फिलहाल तो आयोग का कार्यकाल तीन महीने रखा गया है। तीन महीने में कुछ होने वाला नहीं है, इसलिए आयोग का कार्यकाल तो बढ़ता रहेगा। बताया जा रहा है कि आयोग का कार्यालय पुराने पीएससी दफ्तर में रहेगा और आयोग का कामकाज 12 अगस्त से ही शुरू हो जाएगा। इस दिन आयोग के अध्यक्ष श्री विश्वकर्मा पदभार संभाल लेंगे। अब देखते हैं राज्य में पिछड़े वर्ग के कल्याण की रिपोर्ट देने में आयोग कितना वक्त लेता है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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