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सावन का छठा सोमवार आज : रखा जायेगा मासिक शिवरात्रि व्रत भी, शिव की आराधना से मिलेगा धन लाभ और सुख-समृद्धि

इस साल सावन में कुल 5 सोमवार के व्रत रखे जा चुके हैं। वहीं आज 14 अगस्त को छठा सावन सोमवार का व्रत रखा जाएगा। ये सावन मास के अधिकमास का आखिरी सोमवार का व्रत होगा। इस दिन ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने से और भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को सुखी वैवाहिक जीवन, मनचाहा जीवनसाथी, धन लाभ और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

इस दिन जल में काला तिल मिलाकर अभिषेक करने से दरिद्रता से दूर हो जाती है। साथ ही इस दिन रुद्राक्ष धारण करने की भी विशेष मान्यता है। अब ऐसे में छठा सावन सोमवार का व्रत कब रखा जाएगा। पूजा मुहूर्त क्या है। इस दिन किन उपायों से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

 

जानें 6वां सावन सोमवार का शुभ मुहूर्त

0 ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 50 मिनट से लेकर सुबह 05 बजकर 34 मिनट तक है।

0 गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 07 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 29 मिनट तक है।

0 अमृत काल मुहूर्त – सुबह 08 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक है।

0 मासिक शिवरात्रि व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।

6वां सोमवार का शुभ योग
0 सिद्धि योग – दिनांक 13 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 56 मिनट से लेकर दिनांक 14 अगस्त को शाम 04 बजकर 40 मिनट तक है।

0 सर्वार्थ सिद्धि योग – दिनांक 14 अगस्त को सुबह 11 बजकर 07 मिनट से लेकर दिनांक 15 अगस्त को सुबह 05 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।

0 इसी दिन सावन के अधिकमास शिवरात्रि का व्रत भी रखा जाएगा।

इस विधि से करें सावन सोमवार की पूजा
सावन के छठे सोमवार के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और सफेद रंग का वस्त्र पहनें। इसके बाद भगवान शिव को शुद्ध जल, दूध, दही, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें बेलपत्र, भांग और धतूरा चढ़ाएं। साथ ही शिव चालीसा का पाठ करने के बाद उनकी आरती करें। इस दिन महिलाएं मां पार्वती को सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।

सावन के छठे सोमवार के दिन रुद्राभिषेक और इस मंत्र का करें जाप

सावन के छठे सोमवार के दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक (रुद्राभिषेक नियम) करने के दौरान इस मंत्र का जाप करें ‘शिवो गुरूः शिवो देवः शिवो बन्धुः शरीरिणाम्। शिव आत्मा शिवो जीवः शिवादन्यन्न किंचन।।’ ऐसी मान्यता है कि इससे सभी ग्रह शांत हो जाते हैं और इसी के साथ पुत्र-पौत्र, धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

 

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